HomeUncategorizedज्ञानवापी मामले में अदालत के फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने जताई चिंता

ज्ञानवापी मामले में अदालत के फैसले पर मुस्लिम पक्ष ने जताई चिंता

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लखनऊ: ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले (Gyanvapi Makeup Gauri Case) की पोषणीयता पर वाराणसी जिला जज की Court  के सोमवार को दिए गए फैसले पर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। मुस्लिम पक्ष ने इस पर चिंता जाहिर की है।

वाराणसी के जिला जज ए. के. विश्वेश की अदालत ने ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले की पोषणीयता (मामला सुनवाई करने योग्य है या नहीं) को चुनौती देने वाले मुस्लिम पक्ष की याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि यह मामला उपासना स्थल अधिनियम और वक्फ अधिनियम के लिहाज से वर्जित नहीं है, लिहाजा वह इस मामले की सुनवाई जारी रखेगी। मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।

अदालत के इस फैसले पर उत्तर प्रदेश (UP) के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने सिलसिलेवार Tweet किए। उन्होंने एक Tweet में कहा ‘बाबा विश्वनाथ जी मां श्रृंगार गौरी मंदिर मामले में माननीय न्यायालय के आदेश का स्वागत करता हूं, सभी लोग फैसले का सम्मान करें।’

उन्होंने एक अन्य Tweet में कहा ‘करवट लेती मथुरा, काशी!’

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मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने बलिया में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि हर किसी को अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) के वरिष्‍ठ सदस्‍य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने अदालत के निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘हम अदालत के फैसले का सम्मान करते हैं और अब इसमें सभी के लिए उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय का रास्ता खुला हुआ है।’

कानून के जानकार लोगों के लिए एक सवाल है

उन्होंने कहा कि जब बाबरी मस्जिद का आखिरी फैसला आया था उसमें उच्चतम न्यायालय (SC) ने उपासना स्थल कानून को अपने फैसले का अहम हिस्सा करार दिया था और यह भी कहा था कि अब इसके बाद इससे जुड़े हुए मुकदमों पर सुनवाई नहीं की जाएगी।

उन्होंने कहा कि इससे उम्मीद जागी थी कि मुल्क में मंदिर-मस्जिद का मामला अब नहीं उठेगा, लेकिन इसके बावजूद वाराणसी की अदालत ने जो फैसला दिया वह कानून के जानकार लोगों के लिए एक सवाल है।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि SC जो बात एक बार कह दे उसको दूसरी अदालतें किस आधार पर नजरअंदाज कर सकती हैं। खालिद रशीद ने कहा, ‘‘ज्ञानवापी मस्जिद में तब से नमाज होती आ रही है, जबसे यह मस्जिद बनी है और यह आज भी जारी है।

मुसलमानों को मायूस नहीं होना चाहिए और पूरे मामले को मजबूती के साथ अदालत में रखा जाएगा। लेकिन यह भी सोचना होगा कि इस तरीके के मामलात कब तक चलते रहेंगे।’

ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Shia Personal Law Board) के प्रवक्‍ता मौलाना यासूब अब्‍बास ने ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी मामले को अदालत के बाहर सुलझाने का सुझाव दिया।

उन्होंने एक बयान में कहा ”मैं अदालत के फैसले का सम्‍मान करता हूं। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, चर्च समेत तमाम इबादतगाहें आस्‍था का केंद्र है।

इनमें लोग सुकून हासिल करने के लिये जाते हैं। मैं बार-बार यह बात कह रहा हूं कि हिन्‍दू और मुस्लिम तथा बनारस के स्‍थानीय लोग मिल-बैठकर इस मसले का अदालत के बाहर हल निकाल लें।’’

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