IAS Smita Sabharwal gets police notice for AI image post : साइबराबाद पुलिस ने तेलंगाना की वरिष्ठ IAS अधिकारी स्मिता सभरवाल को कांचा गच्चीबावली में 400 एकड़ विवादित जमीन से जुड़ी एक AI-जनित तस्वीर को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रिपोस्ट करने के लिए नोटिस जारी किया है।
स्मिता ने 31 मार्च 2025 को ‘Hi Hyderabad’ नाम के एक एक्स हैंडल से शेयर की गई तस्वीर को रिपोस्ट किया था। इस तस्वीर में हैदराबाद विश्वविद्यालय (UoH) के पास मशरूम रॉक के सामने बुलडोजर, दो हिरण और एक मोर दिखाए गए थे, जो Ghibli-style AI से बनाई गई थी।
पुलिस ने 12 अप्रैल को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 179 के तहत स्मिता को नोटिस भेजा। यह धारा पुलिस को किसी व्यक्ति को गवाह के रूप में बुलाने की अनुमति देती है।
गच्चीबावली पुलिस स्टेशन के SHO मोहम्मद हबीबुल्ला खान ने बताया कि यह नोटिस एक जांच का हिस्सा है, जिसमें सोशल मीडिया पर भ्रामक और AI-जनित सामग्री फैलाने का मामला शामिल है।
हालांकि, नोटिस का विवरण सार्वजनिक नहीं किया गया।
स्मिता सभरवाल तेलंगाना में पर्यटन और संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव हैं
स्मिता सभरवाल, जो तेलंगाना में पर्यटन और संस्कृति विभाग की प्रमुख सचिव हैं, ने यह तस्वीर तब शेयर की, जब UoH के छात्र संगठन और पर्यावरण कार्यकर्ता इस जमीन पर प्रस्तावित IT पार्क और शहरी बुनियादी ढांचे के लिए तेलंगाना सरकार की नीलामी योजना का विरोध कर रहे थे
तेलंगाना सरकार का दावा है कि यह 400 एकड़ जमीन सरकारी स्वामित्व में है, लेकिन छात्र और पर्यावरणविद इसे पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील मानते हैं, क्योंकि यह जैव विविधता और वन्यजीवों (जैसे हिरण, मोर) का निवास है।
इस विवाद में AI-जनित तस्वीरों और वीडियो ने भ्रामक जानकारी फैलाई, जिसमें बुलडोजर से जंगल नष्ट होने और वन्यजीवों को नुकसान पहुंचने का दावा किया गया। सरकार ने ऐसी सामग्री को गलत बताया और इसके खिलाफ जांच शुरू की।
इन एक्टर ने भी शेयर की है तस्वीरें
IAS अधिकारी स्मिता सभरवाल के अलावा, कई अन्य लोग, जैसे अभिनेता जॉन अब्राहम, दिया मिर्जा, रवीना टंडन, यूट्यूबर ध्रुव राठी और केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी, ने भी ऐसी AI-जनित तस्वीरें अनजाने में शेयर की थीं।
बताते चलें कि यह मामला तेलंगाना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल 2025 को तेलंगाना सरकार को इस जमीन पर पेड़ काटने और निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश दिया।
कोर्ट ने राज्य से पारिस्थितिकी संरक्षण योजना प्रस्तुत करने को कहा और क्षेत्र का निरीक्षण करने के लिए केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को नियुक्त किया।