Israeli attacks in Gaza: गाजा पट्टी में गुरुवार को इजरायली हमलों में कम से कम 17 फलस्तीनियों की जान चली गई, जिनमें 8 बच्चे शामिल हैं। स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह जानकारी दी है। यूएन महासभा (UNGA) के इतर न्यूयॉर्क में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता देने का ऐलान किया, इसे हमास को अलग-थलग करने का ‘एकमात्र तरीका’ बताया।
वहीं, इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने इसकी कड़ी निंदा की और कहा कि वे यूएन में ‘सच बोलेंगे’। अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर युद्धविराम के लिए दबाव बढ़ रहा है।
बच्चे और महिलाएं निशाना
दीर अल-बलाह के अल-अक्सा शहीद अस्पताल के अनुसार, मध्य गाजा के ज़वैदा इलाके में इजरायली हमले में 12 लोग मारे गए। हमले में एक तंबू और एक घर को नुकसान पहुंचा। पीड़ितों में 8 बच्चे शामिल हैं। परिवार के सदस्यों ने बताया कि एक और लड़की अभी भी मलबे में दबी हुई है। अस्पताल ने कहा कि दीर अल-बलाह में एक तंबू पर हवाई हमले में एक अन्य लड़की की मौत हुई और 7 लोग घायल हो गए।
खान यूनिस शहर पर भी इजरायली सेना ने हमला किया। नासेर अस्पताल के मुताबिक, एक इमारत को निशाना बनाया गया, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर के आखिरी हफ्ते में 357 फलस्तीनियों की मौत हुई है, जबकि कुल 65,000 से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। इजरायली सेना का दावा है कि ये हमले हमास के ठिकानों पर हैं, लेकिन स्थानीय रिपोर्ट्स में ज्यादातर नागरिक हताहतों का जिक्र है।
UNGA में फिलिस्तीन मान्यता पर बहस
न्यूयॉर्क में UN महासभा के साइडलाइन पर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि फ्रांस ने फिलिस्तीन राष्ट्र को मान्यता दी है, क्योंकि यह ‘हमास को अलग-थलग करने का एकमात्र तरीका’ है। हमास ने कई नेताओं को खोया, लेकिन खुद को पुनर्जीवित कर लिया। मैक्रों ने बुधवार को कहा, “गाजा में चल रहा पूर्ण युद्ध नागरिकों को मार रहा है, लेकिन इससे हमास का अंत नहीं होगा। यह विफलता है।”
उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से कहा, “आपकी भूमिका महत्वपूर्ण है- आप शांति के समर्थक हैं। इजरायल पर युद्धविराम का दबाव डालें।”मैक्रों का यह ऐलान 6 देशों (फ्रांस, यूके, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, पुर्तगाल, बेल्जियम) के साथ आया, जो फिलिस्तीन को मान्यता दे रहे हैं। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि फिलिस्तीन की राज्यता ‘अधिकार है, इनाम नहीं’। अमेरिका ने इसे ‘हमास को इनाम’ बताया, जबकि सऊदी अरब ने स्वागत किया।