Homeझारखंडअधिकारियों पर भड़के CM चम्पाई सोरेन, दी कार्रवाई करने की चेतावनी

अधिकारियों पर भड़के CM चम्पाई सोरेन, दी कार्रवाई करने की चेतावनी

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CM Champai Soren angry at officials: अधिकारियों ने अगर अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान को हल्के में लिया, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।

इतना ही नहीं, वन पट्टा क्यों रद्द हुआ, इसका भी जवाब उन्हें देना पड़ेगा। ये बातें मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन (Champai Soren) ने जिलों के DC और DFO को चेतावनी देते हुए कहीं।

मुख्यमंत्री सोमवार को ATI में वन अधिकार अधिनियम पर आयोजित कार्यशाला को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सारंडा तथा पोड़ाहाट के वनों में वनाधिकार के लिए लंबे समय तक संघर्ष चला। गोली कांड में कई आदिवासी शहीद भी हो गये।

सारंडा के वनों में सैकड़ों गांव बसे हुए हैं। वहां के ग्रामीण अपने अधिकारों के लिए संघर्षरत रहे हैं।

चम्पाई सोरेन ने कहा कि लंबे संघर्षों के बाद वन अधिकार कानून अस्तित्व में आया है। सरकार द्वारा चलाये गये अभियान को अधिकारी हल्के में नहीं लें। यह कानून लोगों को दो-चार डिसमिल जमीन का पट्टा देने के लिए नहीं बना है। वन अधिकार कानून की यह मुहिम पीछे नहीं हटेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि DC, DFO को आज इसलिए बुलाया गया है कि वे इस बात का जवाब दें कि वन आधिकार आधिनियम 2006 के तहत लोगों द्वारा दिये गये आवेदन क्यों रद्द किये गये। आवेदन रद्द करनेवाले को इसका जवाब देना पड़ेगा।

आदिवासियों के साथ हो रहा सौतेला व्यवहार

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासियों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जा रहा है। वनों पर अधिकार के मामले में तीन हजार अदिवासियों पर मुकदमे भी हुए।

सभी DC और DFO इस अभियान को इस तरह चलायें कि एक से डेढ़ महीने में यह अभियान सफल हो जाये। ध्यान रहे कि इसमें किसी तरह का भेदभाव न हो। ग्रामसभा से आनेवाली बातों को भी मानना है। हमलोग उसके साथ विश्वासघात नहीं होने देंगे। काम करने की इच्छा शक्ति लायें।

वन अधिकार कानून का लाभ लोगों को नहीं मिल सका है : मुख्य सचिव

कार्यशाला में मौजूद मुख्य सचिव एल खियांग्यते ने कहा कि जिस मकसद से वन अधिकार कानून 2006 लाया गया था, उसका लाभ लोगों को नहीं मिल पाया है या हम वनाश्रितों को इसका लाभ नहीं दिला पाये हैं।

DC, DFO और अन्य अधिकारी अबुआ बीर अबुआ दिशोम अभियान (Abua Bir Abua Dishom Campaign) को एक स्कीम की तरह न देखें, बल्कि इस अभियान को अपना दायित्व मानकर कार्य करें।

मुख्य सचिव ने DC और DFO से पूछा, “आप कभी ग्रामसभा की बैठक में शामिल हुए हैं, जमीन के सीमांकन के समय उपस्थित रहे हैं? आपलोग कभी गांव जाते भी हैं?” इस सवाल पर मौजूद DC और DFO चुप रहे।

इस पर मुख्य सचिव ने कहा, “आपलोग खुद गांव में नहीं जायेंगे, तो अनुभव कैसे करेंगे, वनाश्रितों को उनके अधिकार कैसे दिला पायेंगे? गांव-गांव जाकर इस कानून को लागू कीजिये।”

मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा कि वन अधिकार कानून की भावना को समझने की आवश्यकता है। इस कानून के तहत किये जानेवाले दावों को खारिज कर देने की मानसिकता समाप्त करनी पड़ेगी।

वन विभाग को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। वहीं, वन विभाग की प्रधान सचिव वंदना दादेल ने कहा कि वंचितों को उनके अधिकार दिलाना हम सभी का कर्तव्य है। वन विभाग के अधिकारियों को भी न्यायपूर्वक काम करना पड़ेगा।

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