Jharkhand News: झारखंड के गोड्डा जिले में 11 अगस्त 2025 को पुलिस मुठभेड़ में मारे गए आदिवासी नेता सूर्या हांसदा के परिजनों ने झारखंड हाईकोर्ट में क्रिमिनल रिट याचिका दायर कर केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच की मांग की है।
सूर्या की पत्नी सुशीला मुर्मू और मां नीलमुनी मुर्मू ने मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी, गोड्डा और देवघर के SP को याचिका में पक्षकार बनाया है। अधिवक्ता कुमार हर्ष के माध्यम से दायर इस याचिका में दावा किया गया है कि यह एक सुनियोजित हत्या का मामला है, न कि वास्तविक मुठभेड़।
पुलिस का दावा और परिजनों के आरोप
याचिका के अनुसार, सूर्या हांसदा को 10 अगस्त 2025 की शाम देवघर के मोहनपुर थाना क्षेत्र के नावाडीह गांव से गिरफ्तार किया गया था। पुलिस का कहना है कि पूछताछ के दौरान सूर्या ने बोआरीजोर थाना क्षेत्र के ललमटिया धमनी पहाड़ में छिपाए गए हथियारों की जानकारी दी। अगले दिन पुलिस उन्हें निशानदेही के लिए ले गई, जहां सूर्या ने कथित तौर पर पुलिस का हथियार छीनकर भागने का प्रयास किया। जवाबी कार्रवाई में गोली लगने से उनकी मौत हो गई।
हालांकि, परिजनों का आरोप है कि सूर्या उस समय बीमार (टाइफाइड से पीड़ित) थे और भागने की शारीरिक क्षमता ही नहीं थी। उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी के बाद न तो उनका मेडिकल परीक्षण किया गया और न ही मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया।
सूर्या की मां नीलमुनी मुर्मू ने बताया कि पुलिस ने बिना वारंट के उन्हें उठाया और रातभर यातनाएं दीं। परिवार ने शव को पोस्टमॉर्टम के बाद भी लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन बाद में मजबूरी में स्वीकार किया।
सूर्या हांसदा चार बार लड़े चुनाव, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई
सूर्या हांसदा एक प्रमुख आदिवासी नेता थे, जिनका राजनीतिक सफर विभिन्न दलों से जुड़ा रहा। वे बोरियो विधानसभा क्षेत्र से चार बार चुनाव लड़ चुके थे, लेकिन किसी में भी सफलता नहीं मिली।
2009: झारखंड विकास मोर्चा (JVM) से बोरियो सीट पर तीसरे स्थान पर रहे, लगभग 26,000 वोट हासिल किए।
2014: JVM से ही चुनाव लड़ा, फिर तीसरा स्थान हासिल किया, वोटों में वृद्धि हुई लेकिन हार गए।
2019: भाजपा ने टिकट दिया, दूसरे स्थान पर रहे और 59,441 वोट प्राप्त किए। यह उनका सबसे बेहतर प्रदर्शन था।
2024: भाजपा से टिकट न मिलने पर इस्तीफा दे दिया और झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (JKLM) से लड़े, लेकिन केवल 2,937 वोट मिले।
सूर्या अवैध खनन, भूमि हड़पने, घुसपैठ और आदिवासी शोषण के खिलाफ मुखर थे। वे गोड्डा के ललमटिया में 300-400 गरीब आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने वाले स्कूल चलाते थे। उनके खिलाफ 24-25 आपराधिक मामले दर्ज थे, जिनमें से 14 में वे बरी हो चुके थे। पुलिस उन्हें ‘हिस्ट्रीशीटर’ बताती है, लेकिन परिवार और समर्थक इन्हें सामाजिक कार्यकर्ता मानते हैं।

                                    
