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यूपी में चलते रहेंगे मदरसे, सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को किया रद्द, केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी

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UP Madarssa Decision : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court)  के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें ‘उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004’ को असंवैधानिक घोषित करते हुए इसे धर्मनिरपेक्षता और मौलिक अधिकारों (Fundamental Rights) का उल्लंघन बताया गया था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालय का यह निष्कर्ष निकालना कि मदरसा शिक्षा अधिनियम के तहत मदरसा बोर्ड (Madarssa Board) की स्थापना धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है, यह सही नहीं हो सकता है।

मुख्य न्यायाधीश D Y Chandrachud, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद ऐसा लगता है कि उच्च न्यायालय ने मदरसा शिक्षा अधिनियम के प्रावधानों को समझने में भूल की है।

मदरसा शिक्षा अधिनियम को रद्द करते समय उच्च न्यायालय ने प्रथम दृष्टया अधिनियम के प्रावधानों की गलत व्याख्या की, क्योंकि यह अधिनियम किसी भी धार्मिक निर्देश का प्रावधान नहीं करता है।

मुख्य न्यायाधीश D Y Chandrachud ने कहा,उच्च न्यायालय के फैसले से मदरसे में पढ़ने वाले 17 लाख छात्र प्रभावित होंगे।

Supreme Court ने उच्च न्यायालय के 22 मार्च के फैसले को चुनौती देने वाली पांच विशेष अनुमति याचिकाओं पर यह अंतरिम आदेश दिया।

शीर्ष अदालत ने केंद्र व UP सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और केंद्र सरकार को 30 जून 2024 तक जवाब दाखिल करने का वक्त दिया है। इसके बाद जुलाई के दूसरे हफ्ते में इस पर सुनवाई होगी।

क्या है मदरसा कानून?

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में 2004 में ये कानून बनाया गया था। इसके तहत मदरसा बोर्ड (Madarssa Board) का गठन किया गया था।

इसका मकसद मदरसा शिक्षा को सुव्यवस्थित करना था। इसमें अरबी, उर्दू, फारसी, इस्लामिक स्टडीज, तिब्ब (ट्रेडिशनल मेडिसिन), फिलोसॉफी जैसी शिक्षा को परिभाषित किया गया है।

UP में 25 हजार मदरसे हैं, जिनमें से लगभग 16 हजार को UP Board of Madarssa से मान्यता मिली हुई है। साढ़े आठ हजार मदरसे ऐसे हैं, जिन्हें मदरसा बोर्ड ने मान्यता नहीं दी है।

Madarssa Board ‘कामिल’ नाम से अंडर ग्रेजुएशन और ‘फाजिल’ नाम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री देता है। इसके तहत Diploma भी किया जाता है, जिसे ‘कारी’ कहा जाता है। बोर्ड हर साल मुंशी और मौलवी (10वीं क्लास) और आलिम (12वीं क्लास) के एग्जाम भी करवाता है।

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