CJI DY चंद्रचूड़ ने झारखंड सहित 15 राज्यों के मुख्य सचिव और वित्त सचिवों को क्यों बुलाया?

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव (CS) और वित्त सचिवों को 27 अगस्त को व्यक्तिश Bकोर्ट में तलब किया है।

Digital Desk

CJI DY Chandrachud called the Chief Secretary and Finance Secretaries : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित 15 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव (CS) और वित्त सचिवों को 27 अगस्त को व्यक्तिश Bकोर्ट में तलब किया है।

Chief Justice DY चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार न्यायिक अधिकारियों को बकाया भुगतान के बारे में अदालत के निर्देश की पालना नहीं करने पर यह निर्देश दिए।

Supreme Court ने 11 जुलाई को विभिन्न राज्यों व यूटी को अनुपालना के बारे में हलफनामा दाखिल करने के लिए 20 अगस्त तक की अंतिम समय सीमा दी थी। सीजेआइ की बेंच में सुनवाई के दौरान मिकस क्यूरी वरिष्ठ अधिवक्ता के.परमेशर ने कोर्ट को सूचित किया कि 15 राज्यों और UT ने अदालती निर्देशों की पालना नहीं की है।

इसपर सुप्रीम कोर्ट ने 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और यह बताने को कहा कि उन्होंने न्यायिक अधिकारियों को पेंशन बकाया और सेवानिवृत्ति लाभों के भुगतान पर दूसरे राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग की सिफारिशों को क्यों लागू नहीं किया है।

न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ की अध्यक्षता कर रहे मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, मैं देख सकता हूं कि कोई ठोस अनुपालन नहीं हुआ है। उन्हें व्यक्तिगत रूप से हमारे सामने पेश होना होगा या हम उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी कर सकते है।

तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, आंध्रप्रदेश, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, दिल्ली, असम, नागालैंड, मेघालय, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख, झारखंड, केरल, बिहार, गोवा, हरियाणा और ओडिशा के शीर्ष नौकरशाहों को सुनवाई की अगली तारीख 27 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश होना होगा। अनुपालन न करने पर कड़ी नाराजगी जताकर पीठ ने कहा था, हमें अब अनुपालन करवाना आता है।

अगर हम सिर्फ यह कहें कि हलफनामा दाखिल न होने पर मुख्य सचिव मौजूद रहेंगे तब हलफनामा दाखिल नहीं होगा। पीठ ने कहा था, हम उन्हें जेल नहीं भेज रहे हैं, लेकिन उन्हें यहां रहने दें और फिर हलफनामा दाखिल किया जाएगा। उन्हें अब व्यक्तिगत रूप से पेश होने दें।