HomeUncategorizedपाकिस्तान के अलावा कोई देश चीन से नहीं खरीदना चाहता हथियार

पाकिस्तान के अलावा कोई देश चीन से नहीं खरीदना चाहता हथियार

Published on

spot_img
spot_img
spot_img

नई दिल्ली: दुनिया का चौधरी बनने के लिए आतुर चीन की महत्वकांक्षा उस पर ही भारी पड़ रही है।

चीन के आक्रामक रवैये पर हमेशा से पश्चिमी देशों की नजर रही है, खासतौर पर कोरोना महामारी की शुरुआत के बाद।

इसके बाद से ही कई देशों ने चीन से हथियार और अन्य सैन्य सामग्रियों का आयात कम करना शुरू कर दिया है।

स्थिति यह है कि अब बड़े देश तो क्या पाकिस्तान को छोड़ बाकी छोटे-छोटे देश भी चीन के हथियार और लड़ाकू विमान खरीदने से कतराते हैं।

‘फॉरेन पॉलिसी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते महीने फिलिपींस में चीन की कार्रवाई के बाद से अब बहुत कम ही ऐसे देश बच गए हैं, जो चीन से भागीदारी करने की रुचि रखते हैं।

बीते महीने चीनी नौसेना के जहाज बिना मंजूरी के लिए फिलिपींस के जल क्षेत्र में घुस गए थे।

पत्रिका ने अपने लेख में कहा है कि चीन भारत के साथ लद्दाख में भी सीमा विवाद में उलझा हुआ है, जिसकी वजह से दोनों देशों के द्विपक्षीय रिश्ते बिगड़े हैं।

हालांकि, भारत दूसरे देशों से हथियार आयात करता है लेकिन वह चीन से सैन्य उपकरण नहीं खरीदता।

कुछ ऐसा ही वियतनाम के साथ भी है। वियतनाम और चीन के बीच भी समुद्री क्षेत्र में विवाद बढ़ता जा रहा है।

पत्रिका के मुताबिक, चीन अपने लड़ाकू विमान बेचना चाहता है लेकिन मलेशिया और इंडोनेशिया तक उसके खरीदार बनने को राजी नहीं हैं।

इसी साल स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा था कि ‘आत्मनिर्भर भारत’ स्कीम के तहत भारत लगातार खुद पर निर्भरता बढ़ा रहा है।

साल 2011-2015 और 2016-20 के बीच भारत के हथियारों के आयात में 33 फीसदी की गिरावट आई है। इसी दौरान चीन का निर्यात भी 7.8 फीसदी गिरा है।

फॉरेन पॉलिसी के लेख में कहा गया है कि अगर आपके दोस्त नहीं हैं तो ये अत्याधुनिक हथियार और विमान मायने नहीं रखते और इसीलिए दुनिया के देश बीजिंग के फाइटर जेट खरीदने से बच रहे हैं।

चीन ने लगातार अपने लड़ाकू विमानों को सुधारा है। उसने जे-10, जे-10सी और एपसी-31 जैसे लड़ाकू विमान बनाए हैं।

सिपरी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2000 से 2020 के बीच चीन ने 7.2 अरब डॉलर के सैन्य विमान निर्यात किए हैं।

वहीं, अमेरिका ने सबसे ज्यादा 99.6 अरब डॉलर के विमान निर्यात किए हैं और इसके बाद दूसरे नंबर पर रूस ने 61.5 अरब डॉलर के विमान दूसरे देशों को दिए हैं।

यहां तक कि फ्रांस ने भी चीन से दोगुना कीमत यानी 14.7 अरब डॉलर के विमान निर्यात किए हैं। हथियारों के लिए चीन पर सिर्फ पाकिस्तान ही निर्भर है।

इस्लामाबाद ने बीते पांच सालों में जितने हथियार आयात किए हैं, उनमें से 74 फीसदी हिस्सेदारी चीन की है। पत्रिका के मुताबिक, चीन की इस असफलता के पीछे सबसे बड़ा कारण उसकी विदेश नीति है।

लड़ाकू विमान बेचने के लिए किसी भी देश को अपनी व्यापार नीति को लचीला बनाने की जरूरत पड़ती है, तकनीक हस्तांतरित करनी होती है। यह सब हथियार की डील का हिस्सा होता है लेकिन चीन ऐसा नहीं होने देता।

चीन दुनियाभर में सबसे बड़ा निर्यातक बनना चाहता है लेकिन वह अपना आयात नहीं बढ़ाना चाहता। यही सोच चीन के लिए भारी पड़ रहा है।

spot_img

Latest articles

कोलकाता में मेसी के दौरे पर बवाल, अव्यवस्था के बाद राजनीति तेज

Messi's Visit Sparks Chaos in Kolkata : अर्जेंटीना के फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी (Lionel...

केरल स्थानीय निकाय चुनाव: बदली राजनीति की तस्वीर, UDF आगे, तिरुवनंतपुरम में NDA का बड़ा उलटफेर

Kerala Local Body Elections: केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों ने राज्य की...

संत मरिया महागिरजाघर में क्रिसमस गैदरिंग की शुरुआत, प्रेम और भाईचारे का संदेश

Christmas Gathering begins at St. Mary's Cathedral: पुरूलिया रोड स्थित संत मरिया महागिरजाघर में...

अनमोल बिश्नोई पर गृह मंत्रालय का सख्त फैसला, हिरासत पर लगी एक साल की रोक

Home Ministry takes Strict action against Anmol Bishnoi : केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय...

खबरें और भी हैं...

कोलकाता में मेसी के दौरे पर बवाल, अव्यवस्था के बाद राजनीति तेज

Messi's Visit Sparks Chaos in Kolkata : अर्जेंटीना के फुटबॉल स्टार लियोनेल मेसी (Lionel...

केरल स्थानीय निकाय चुनाव: बदली राजनीति की तस्वीर, UDF आगे, तिरुवनंतपुरम में NDA का बड़ा उलटफेर

Kerala Local Body Elections: केरल के स्थानीय निकाय चुनावों के नतीजों ने राज्य की...

संत मरिया महागिरजाघर में क्रिसमस गैदरिंग की शुरुआत, प्रेम और भाईचारे का संदेश

Christmas Gathering begins at St. Mary's Cathedral: पुरूलिया रोड स्थित संत मरिया महागिरजाघर में...