HomeUncategorizedसुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मोदी सरकार की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की मोदी सरकार की याचिका

Published on

spot_img
spot_img
spot_img

Supreme Court Rejected the Petition of Modi government: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 25 जुलाई के अपने फैसले को आगामी प्रभाव से लागू करने की मोदी सरकार की याचिका को खारिज कर दी।

जिसमें राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने के विधायी अधिकार को बरकरार रखा गया था। इसके साथ ही न्यायालय ने राज्यों को एक अप्रैल 2005 के बाद से Royalty वसूल करने की अनुमति दे दी।

भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि 25 जुलाई के आदेश को आगामी प्रभाव से लागू करने की दलील खारिज की जाती है। पीठ में न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्जल भूइयां, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे।

पीठ ने कहा कि हालांकि, पिछले बकाया के भुगतान पर कुछ शर्तें होंगी। पीठ ने कहा कि केंद्र और खनन कंपनियां खनिज संपन्न राज्यों को बकाये का भुगतान अगले 12 वर्ष में क्रमबद्ध तरीके से कर सकती हैं। बहरहाल, पीठ ने राज्यों को बकाये के भुगतान पर किसी प्रकार का जुर्माना न लगाने का निर्देश दिया।

केंद्र ने खनिज संपन्न राज्यों को 1989 से खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर लगी Royalty उन्हें वापस करने की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि इसका असर नागरिकों पर पड़ेगा और प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (PSU) को अपने खजाने से 70,000 करोड़ रुपये निकालना होगा।

CJI चंद्रचूड़ ने कहा कि इस फैसले पर पीठ के आठ न्यायाधीश हस्ताक्षर करेंगे, जिन्होंने बहुमत से 25 जुलाई का फैसला दिया था जिसमें राज्यों को खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार दिया गया था।

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति नागरत्ना फैसले पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी क्योंकि उन्होंने 25 जुलाई को अलग फैसला दिया था। पीठ ने 25 जुलाई को 8:1 के बहुमत वाले फैसले में कहा था कि राज्यों के पास खदानों और खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने का विधायी अधिकार है और खनिजों पर दी जाने वाली Royalty कोई कर नहीं है।

इस फैसले ने 1989 के उस निर्णय को पलट दिया था जिसमें कहा गया था कि केवल केंद्र के पास खनिजों और खनिज युक्त भूमि पर Royalty लगाने का अधिकार है। इसके बाद कुछ विपक्षी दल शासित खनिज संपन्न राज्यों ने 1989 के फैसले के बाद से केंद्र द्वारा लगाई गई Royalty और खनन कंपनियों से लिए गए करों की वापसी की मांग की। Royalty वापस करने के मामले पर 31 जुलाई को सुनवाई हुई और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था।

spot_img

Latest articles

चूटूपालू घाटी में ट्रेलर का कहर, कई गाड़ियां चपेट में, दर्जनभर से ज्यादा घायल

Accident in Chutupalu Valley: जिले में शनिवार को एक भीषण सड़क हादसा हुआ। चूटूपालू...

रजरप्पा के पास हाथियों की दस्तक, जनियामारा में दहशत का माहौल

Elephants Arrive Near Rajrappa : रामगढ़ जिले के रजरप्पा क्षेत्र में जंगली हाथियों (Wild...

सदर अस्पताल रांची की बड़ी उपलब्धि, तीन क्षेत्रों में मिला सम्मान

Sadar Hospital Ranchi's big Achievement: सदर अस्पताल रांची ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में...

खनिज भूमि पर सेस बढ़ा, विकास और पर्यावरण को मिलेगा सहारा

Cess on Mineral Land Increased: झारखंड सरकार ने खनिज धारित भूमि पर लगने वाले...

खबरें और भी हैं...

चूटूपालू घाटी में ट्रेलर का कहर, कई गाड़ियां चपेट में, दर्जनभर से ज्यादा घायल

Accident in Chutupalu Valley: जिले में शनिवार को एक भीषण सड़क हादसा हुआ। चूटूपालू...

रजरप्पा के पास हाथियों की दस्तक, जनियामारा में दहशत का माहौल

Elephants Arrive Near Rajrappa : रामगढ़ जिले के रजरप्पा क्षेत्र में जंगली हाथियों (Wild...

सदर अस्पताल रांची की बड़ी उपलब्धि, तीन क्षेत्रों में मिला सम्मान

Sadar Hospital Ranchi's big Achievement: सदर अस्पताल रांची ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में...