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देश की उन्नति में योगदान दे सकें, मेरा सपना हर दिव्यांग को मिले बराबर मौका : पद्मश्री दीपा मलिक

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नई दिल्ली: देश अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। ये दिन उन वीरों की गौरव गाथा और बलिदान का प्रतीक है जिन्होंने अंग्रेजों के दमन से देश आजाद कराने में अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया।

इस अवसर पर भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष व पद्मश्री दीपा मलिक ने इच्छा जाहिर की कि, मेरा सपना एक ऐसे भारत का है जिधर हर दिव्यांक को देश की भागीदारी में मौका मिले।

दरअसल 15 अगस्त 1947 को हमें ब्रिटिश शासन से आजादी मिली थी, ये दिन हमारे फ्रीडम फाइटर्स के त्याग और तपस्या की याद दिलाता है।

हालांकि इस बार टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मैडल जितने से पूरे भारत में एक अलग उत्साह है।

वहीं भारत 24 अगस्त से पांच सितंबर तक चलने वाले पैरालंपिक खेलों की नौ स्पर्धाओं में हिस्सा लेगा। पूरे देश की निगाहें अब इन खिलाड़ियों पर बनी हुई है।

भारतीय पैरालंपिक समिति की अध्यक्ष व पद्मश्री दीपा मलिक ने आईएएनएस के साथ बातचीत करते हुए

अपने विचार साझा किए साथ ही नए भारत को लेकर भी उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी।

पद्मश्री दीपा मलिक ने कहा कि मैं बहुत सौभग्य शाली हूं कि प्रधानमंत्री की कमेटी इंडिया एट 75 आजादी का अमृत महोत्सव, जिसका मैं एक हिस्सा हूं।

नया भारत इन्क्लूसिव भारत होना चाहिए, जिधर सबको बराबर मौका मिले, खासतौर पर दिव्यांगो को।

इसमें बहुत काम हो चुका है, हम जैसे लोग देश के इंफ्रास्ट्रक्च र और पढ़ाई का पूरा लाभ लेकर, देश की उन्नति, आर्थिक स्थिति और खेलों में अपना बहतरीन योगदान देने का हौसला रखते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि, हमारे अंदर काबिलियत है, बस मौका चाहिए, इसलिए एक ऐसा भारत मेरा सपना है, जिधर हर दिव्यांग व्यक्ति को देश की भागीदारी में मौका मिले।

हालांकि उन्होंने पैरालंपिक खेलने जा रहे खिलाड़ियों को लेकर कहा कि, हाल ही में जीते गोल्ड मैडल का जश्न पूरे हिंदुस्तान ने मनाया है। ये सारा हौसला हमारे खिलाड़ियों को पहुंचा है।

खिलाड़ियों पर दबाब बिल्कुल नहीं है। बल्कि जितने का जज्बा बढ़ गया है। सभी खिलाड़ी देश का तिरंगा लहराने को खिलाड़ी बेताब है।

दीपा मलिक ने सरकार के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि, हमारे खिलाड़ियों को बराबर और पूरी तव्वजो दी गई, चाहे डाइट हो या ट्रेनिंग हो।

इस बार स्पॉन्सर्स का भी धन्यवाद देना चाहूंगी और सरकार की नीतियों के तहत उन्हें बराबर कैम्प दिए गए, ट्रेनिंग फेसिलिटी दी गई।

दिव्यांग खिलाड़ी की ट्रेनिंग में बदलाव होता है जिसके लिए कुछ अलग सुविधाएं चाहिए होती हैं। सरकार द्वारा पूरा ध्यान रखा गया। एक एक खिलाड़ी को बेहतर तैयार किया गया है।

दरअसल इस बार होने जा रहे पैरालंपिक खेलों में देवेंद्र झाझरिया (एफ-46 भाला फेंक), मरियप्पन थंगावेलू (टी-63 ऊंची कूद) और विश्व चैंपियन संदीप चौधरी (एफ-64 भाला फेंक) जैसे खिलाड़ी मौजूद हैं जो पदक के दावेदारों में शुमार हैं।

पूरे देश को इस बार पैरालंपिक खेलों में अपने सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन की उम्मीद है। वहीं अब तक झाझरिया अपने तीसरे पैरालंपिक स्वर्ण पदक की कोशिश में जुटे हैं।

2004 और 2016 में सोने का तमगा भी जीत चुके हैं। साथ ही मरियप्पन ने रियो के पिछले चरण में स्वर्ण पदक जीता था।

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