New Delhi News: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिसंबर 2025 में भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ सकते हैं। यह दौरा ऐसे समय में होने जा रहा है, जब अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने के कारण भारत पर 50% टैरिफ और प्रतिबंधों की धमकी दी है।
समाचार एजेंसी AFP के अनुसार, क्रेमलिन ने पुष्टि की है कि पुतिन ने मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण को स्वीकार किया था, और अब दिसंबर में यह यात्रा प्रस्तावित है। दोनों नेता इससे पहले 1 सितंबर को चीन के तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में मिलेंगे।
पुतिन की पहली भारत यात्रा
यह यात्रा 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन का पहला भारत दौरा होगा, जिसे बदलते वैश्विक परिदृश्य में बेहद अहम माना जा रहा है। भारत और रूस के बीच गहरे रणनीतिक रिश्ते सोवियत काल से चले आ रहे हैं, और रूस भारत का सबसे बड़ा रक्षा साझेदार बना हुआ है। इस यात्रा में ऊर्जा, रक्षा, और आर्थिक सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है।
अमेरिकी टैरिफ पर भारत की आपत्ति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल खरीदने के लिए 27 अगस्त से 50% टैरिफ लागू किया है, जिसमें हाल ही में 25% अतिरिक्त शुल्क जोड़ा गया। अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से सस्ता तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को अप्रत्यक्ष रूप से वित्तपोषित कर रहा है।
भारत ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे “अनुचित और दोहरे मापदंड” वाला कदम बताया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि तेल आयात बाजार आधारित और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने वाला है। भारत ने यह भी उजागर किया कि यूरोप और अन्य बड़े देश रूस के साथ व्यापार जारी रखे हुए हैं।
रूस का भारत को समर्थन
रूस ने अमेरिका के टैरिफ को “अनुचित” करार देते हुए भारत का समर्थन किया है। रूसी दूतावास ने कहा, “अगर भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में नहीं जाएंगे, तो रूस में उनकी मांग बढ़ेगी।” यह बयान भारत-रूस के बीच गहरे आर्थिक और रणनीतिक रिश्तों को दर्शाता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन की यात्रा भारत-रूस संबंधों को और मजबूत करेगी, खासकर ऐसे समय में जब भारत और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ रहा है।
SCO शिखर सम्मेलन में होगी अहम चर्चा
1 सितंबर को तियानजिन में होने वाले SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी, पुतिन, और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात होगी।
इस दौरान अमेरिकी टैरिफ, रूस-यूक्रेन युद्ध, और भारत-रूस के बीच व्यापार व रक्षा सहयोग जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में रहेंगे। यह बैठक वैश्विक कूटनीति में भारत की संतुलित भूमिका को और रेखांकित करेगी।