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सुप्रीम कोर्ट के वकील ने कश्मीर मुद्दे पर जहर उगलने के लिए हुंडई, किया, केएफसी और पिज्जा हट पर प्रतिबंध लगाने की मांग की

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने मंगलवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर हुंडई इंडिया, किया इंडिया, केएफसी इंडिया और पिज्जा हट इंडिया का पंजीकरण रद्द करने की मांग की है।

शिकायत करने वाले दिल्ली निवासी वकील विनीत जिंदल का कहना है ये विदेशी कंपनियां हमारे देश की अखंडता से खिलवाड़ कर रही हैं। उन्होंने कहा है कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को लेकर सोशल मीडिया पर उनके आपत्तिजनक बयानों को लेकर उन्हें बैन किया जाना जरूरी है।

जिंदल का कहना है कि इन कंपनियों ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर हमारे देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाले आपत्तिजनक बयान और पोस्ट किए हैं, इसलिए इनका पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) रद्द कर दिया जाना चाहिए।

आरोप लगाया गया है कि 5 फरवरी को, हुंडई पाकिस्तान ने पाकिस्तान में अपने आधिकारिक ट्विटर चैनल के माध्यम से भारत से कश्मीर की स्वतंत्रता का आह्वान किया था। पाकिस्तान इस दिन को कश्मीर एकजुटता दिवस के रूप में मनाता है।

भारतीय ट्विटर यूजर्स, पाकिस्तान द्वारा इस अप्रिय प्रचार के बाद, सोशल मीडिया पर हुंडई की आलोचना करने लगे, जिससे मूल कंपनी को प्रतिक्रिया जारी करने के लिए मजबूर होना पड़ा।

विवाद बढ़ने के बाद हुंडई इंडिया ने अपनी सफाई में कहा, हुंडई मोटर इंडिया 25 से अधिक वर्षों से भारतीय बाजार के लिए प्रतिबद्ध है और हम राष्ट्रवाद का सम्मान करने के अपने मजबूत लोकाचार के लिए ²ढ़ता से खड़े हैं।

हुंडई मोटर इंडिया को जोड़ने वाली अवांछित सोशल मीडिया पोस्ट इस महान देश के प्रति हमारी अद्वितीय प्रतिबद्धता और सेवा को ठेस पहुंचा रही है।

असंवेदनशील संचार के प्रति हमारी जीरो टॉलरेंस की नीति है और हम इस तरह के किसी भी विचार की कड़ी निंदा करते हैं। हुंडई ही नहीं, बल्कि उसकी सब्सिडियरी किया ने भी ऐसे ही विचार प्रकट करते हुए ट्वीट किया था।

पिज्जा हट पाकिस्तान ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया था, जिसमें लिखा था, यह कश्मीर एकजुटता दिवस, आइए हाथ मिलाएं और अपने कश्मीरी भाइयों और बहनों की आजादी के लिए एकजुट हों। वहीं केएफसी पाक ने भी इसी तरह का एक ट्विटर संदेश भेजा था।

जिंदल ने आईएएनएस को बताया कि हुंडई इंडिया द्वारा दिया गया बयान उसके अपने कृत्य की निंदा है और अपराध की स्वीकृति का समर्थन नहीं करता है और यह बयान सार्वजनिक रूप से किए गए गंभीर अपराध के लिए माफी नहीं है।

अधिवक्ता ने भारतीय दंड संहिता की धारा 121ए, 153, 153ए, 504, 505 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत तत्काल प्राथमिकी दर्ज करने की भी मांग की। उन्होंने अपना पत्र दिल्ली पुलिस आयुक्त राकेश अस्थाना को भी भेजा है।

जिंदल ने कहा कि पाकिस्तान में व्यापारिक लाभ हासिल करने के लिए इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा भारत की संप्रभुता को निशाना बनाने वाला विवादास्पद पोस्ट बेहद निंदनीय है।

उन्होंने कहा, इन मल्टीनेशनल कंपनियों ने भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देने के लिए लाखों यूजर्स द्वारा इस्तेमाल किए गए पब्लिक प्लेटफॉर्म्स पर जानबूझकर क्रूर बयान दिए हैं।

इसके साथ उनके कामों से राष्ट्रीय दंगे, सांप्रदायिक असामंजस्य को बढ़ावा मिल सकता है और यह भारत के खिलाफ काफी बुरा असर छोड़ सकता है।

शिकायत में यह भी कहा गया है कि ये तमाम चीजें भड़काऊ हैं और दोनों देशों (भारत और पाकिस्तान) के बीच संघर्ष के कारण को और बढ़ा सकती हैं।

इससे पहले दिन में, राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुवेर्दी ने संसद में इस मुद्दे को उठाया और किसी कंपनी का नाम लिए बिना कहा कि उन्होंने अपने प्लेटफॉर्म पर जो सामग्री (कंटेंट) पोस्ट की है, वह कश्मीर की आजादी की मांग करती है।

सांसद ने कहा, ये कंपनियां भारत और पाकिस्तान दोनों में कारोबार कर रही हैं, फिर भी कश्मीर पर पाकिस्तान के साथ एकजुटता में सामग्री पोस्ट की है।

हमारे देश की संप्रभुता को चुनौती देने वाले ऐसे पोस्ट स्वीकार्य नहीं होने चाहिए। यह आश्चर्यजनक है कि इसे अब तक अनदेखा किया गया है। और यह भी ध्यान में रखते हुए कि ये कंपनियां पिछले कई सालों से भारत में फल-फूल रही हैं, फिर भी विवादास्पद रुख अपनाना अस्वीकार्य है।

चतुवेर्दी ने मांग की कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ये कंपनियां देशद्रोही कदम के लिए स्पष्ट रूप से माफी मांगें और आगे यह सुनिश्चित करें कि भारत में काम करने वाली कंपनियां देश की संप्रभुता को चुनौती न दें।

शिवसेना सांसद की मांग का जवाब देते हुए, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार ने कंपनी को स्पष्ट रूप से माफी मांगने के लिए कहा है।

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