Terrorist attack in pahalgam: पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 नागरिकों की मौत के जवाब में भारतीय सेना ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और PoK में 9 आतंकी ठिकानों पर मिसाइल हमले किए, जिसमें 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया गया।
इसके बाद पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर, गुजरात के कच्छ और राजस्थान के बाड़मेर में ड्रोन और मिसाइल हमले किए, जिन्हें भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने विफल कर दिया। दोनों देशों ने 10 मई को सीजफायर की घोषणा की।
इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में वकील देव आशीष दुबे ने एक PIL दायर कर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम के ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने की मांग की है।
याचिका में कहा गया कि यह नाम सैनिकों और उनकी विधवाओं के बलिदान का प्रतीक है, जो पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई से जुड़ा है। इसे व्यावसायिक लाभ के लिए दुरुपयोग नहीं करना चाहिए।
क्या है मामला?
याचिकाकर्ता के वकील ओम प्रकाश परिहार ने तर्क दिया कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ देशवासियों, शहीद सैनिकों और पहलगाम हमले के पीड़ितों की भावनाओं से जुड़ा है।
यह नाम सैनिकों की विधवाओं के ‘सिंदूर’ के प्रतीक के रूप में राष्ट्रीय गौरव का हिस्सा है। याचिका में कहा गया कि 5 लोगों ने ट्रेडमार्क रजिस्ट्री में क्लास 41 (शिक्षा और मनोरंजन) के तहत इस नाम के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है, जो भावनाओं का शोषण है।
याचिका में ट्रेडमार्क एक्ट 1999 की धारा 9 का हवाला देते हुए कहा गया कि ऐसा रजिस्ट्रेशन सार्वजनिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला और गैर-विशिष्ट है, इसलिए इसे अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने भी 7 मई को ट्रेडमार्क के लिए आवेदन किया था, लेकिन जनता के विरोध के बाद इसे वापस ले लिया।
सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि ट्रेडमार्क रजिस्ट्री को निर्देश दिया जाए कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रजिस्ट्रेशन को रोका जाए, ताकि राष्ट्रीय बलिदान और गौरव से जुड़े इस नाम का व्यावसायिक दुरुपयोग न हो।


