Homeविदेशजापान में सोने के भाव ‎बिकती है उनागी मछली

जापान में सोने के भाव ‎बिकती है उनागी मछली

Published on

spot_img

टो‎कियो: जापान मछली उनागी यहां सोने के भाव ‎बिकती है। इसकी वजह है उनागी मछली की आबादी में ‎गिरावट आना।

उनागी मछली एक ताजे पानी में रहने वाली ईल मछली होती है। यह मछली खास इसलिए है क्योंकि जापान में बेहद प्रचलित इस मछली की कीमत आसमान छूती रही है।

साल 2018 में एक किलो बेबी ईल की कीमत 35 हजार डॉलर थी। करीब करीब उस वक्त सोने की कीमत के बराबर।

इनके बच्चों को पकड़ा जाता है और फिर एक साल तक पाला जा सकता है। इसके बाद इन्हें बेचा जा सकता है।

जापान में लोग हजारों साल से ईल खाते आ रहे हैं। रेस्तरां में 40 से 50 टन ईल हर साल बेची जाती है। जापानी ईल पूर्वी एशिया में मिलती है।

ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये इतनी मंहगी क्यों है? जरूरत से ज्यादा मछलियां पकड़ने और इनके रहने वाले इलाकों को नुकसान पहुंचने के कारण इनकी आबादी में गिरावट आई है।

1980 के बाद से इनमें 75 फीसदी कमी आई है जिससे कीमत बढ़ गई है।

दूसरी मछलियां बड़े होने पर पकड़ी जाती हैं लेकिन आबादी को खतरे के कारण ईल के बच्चे, ग्लासएल पकड़े जाते हैं।

इन्हें पाला जाता है। सबसे ज्यादा खर्चा इसी में होता है। इन्हें दिन में दो तीन बार खाना खिलाया जाता है।

इन्हें मछलियों का चारा, गेहूं, सोयाबीन और मछलियों का तेल खिलाया जाता है। इनका ध्यान भी रखना होता है।

एक भी मछली को नुकसान हुआ तो उसके साथ रहने वाली सभी मछलियां खराब हो जाती हैं। इसमें 6 -12 महीने का समय लगता है।

बड़े होने के बाद इन्हें लंबाई के आधार पर अलग-अलग किया जाता है। इससे तय होता है कि इन्हें कहां बेचा जाएगा।कहानी यहीं खत्म नहीं होती।

रेस्तरां में इनकी मांग बहुत होती है। इनसे बनने वाली काबायाकी नाम की डिश बनाना सीखने में भी किसी को कई साल लग सकते हैं। इसलिए इसकी कीमत भी काफी होती है।

जापान में कहा जाता है कि ईल को काटना सीखने में ही पूरा जीवन लग जाता है। ऐसा ही ग्रिलिंग के बारे में भी कहा जाता है।

इसे पूरे वक्त देखना होता है। यह ना ज्यादा सख्त हो सकती है और न नरम। इसे चावल के साथ खाया जाता है।

इसकी कीमत 91 डॉलर तक जा सकती है। जापान में गर्मी के मौसम में इनकी खपत ज्यादा होती है।

इसके लिए एक खास फेस्टिवल भी होता है जिसमें यह मछली खाई जाती है।

इनकी घटती आबादी के कारण 2014 में इन्हें विलुप्तप्राय करार दे दिया गया जिससे जापान में मत्स्यपालकों के लिए परेशानी खड़ी हो गई।

यहां तक कि चीन और ताइवान से आयात करना पड़ा। अमेरिका में भी इसे पाला जाता है जहां इसकी कीमत के कारण इसकी तस्करी भी शुरू हो गई।

spot_img

Latest articles

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति: जिलास्तर पर तय होगी शराब दुकानों की संख्या

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति के तहत शराब दुकानों की संख्या...

क्सलियों की साजिश नाकाम, 18 IED बम बरामद

Chaibasa-Khunti News: पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी जिले की सीमा पर बुधवार को सुरक्षा बलों...

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से की मुलाकात 

Ranchi News: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को...

शिबू सोरेन की सेहत में सुधार, दिल्ली के अस्पताल में खतरे से बाहर

Ranchi News: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संरक्षक और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन की...

खबरें और भी हैं...

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति: जिलास्तर पर तय होगी शराब दुकानों की संख्या

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति के तहत शराब दुकानों की संख्या...

क्सलियों की साजिश नाकाम, 18 IED बम बरामद

Chaibasa-Khunti News: पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी जिले की सीमा पर बुधवार को सुरक्षा बलों...

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से की मुलाकात 

Ranchi News: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को...