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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हेट स्पीच को बोलने की आजादी में शामिल नहीं

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Big decision of Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कहा कि ‘हेट स्पीच’ यानी नफरत फैलाने वाले बयान या पोस्ट को बोलने की आजादी का हिस्सा नहीं माना जा सकता। ये बात कोर्ट ने वजाहत खान के केस में कही। खान ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को पहलगाम हत्याओं पर सांप्रदायिक पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार करवाया था। लेकिन अब खान खुद मुश्किल में हैं। उनके खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदुओं के खिलाफ हेट स्पीच करने के लिए FIR दर्ज हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, असम, हरियाणा और महाराष्ट्र पुलिस को खान को गिरफ्तार करने से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि खान के पोस्ट संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत बोलने की आजादी में नहीं आते।

‘बदले की भावना से दर्ज हुई FIR’

खान के वकील डी एस नायडू ने जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस कोटिश्वर सिंह की बेंच को बताया कि खान के खिलाफ FIR इसलिए दर्ज हुईं क्योंकि उन्होंने पनोली के खिलाफ पश्चिम बंगाल पुलिस में शिकायत की थी। नायडू ने कहा कि खान ने 2023 में किए अपने कमेंट्स डिलीट कर दिए थे और ‘हिंदू भाइयों और बहनों’ से माफी मांगते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था। लेकिन कोर्ट ने कहा कि कमेंट्स डिलीट करने से बात खत्म नहीं होती, क्योंकि ये पोस्ट नफरत फैलाने वाले थे।

‘खान को मिल चुका है सबक’

नायडू ने कोर्ट को बताया कि खान पहले से ही पश्चिम बंगाल में दो FIR के मामले में पुलिस और ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। उन्होंने रिक्वेस्ट की कि सभी FIR को एक जगह मर्ज कर दिया जाए, जैसा सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई केस में किया है। नायडू ने कहा कि खान शायद अपने किए की सजा भुगत रहे हैं और उन्हें सबक मिल चुका है।

कोर्ट ने चार राज्यों की पुलिस को खान के खिलाफ सख्त एक्शन लेने से मना किया है, जहां उनके उसी पोस्ट के लिए अलग-अलग FIR दर्ज हैं। कोर्ट ने दोहराया कि सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट बोलने की आजादी का हिस्सा नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, हेट स्पीच को बोलने की आजादी में शामिल नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कहा कि ‘हेट स्पीच’ यानी नफरत फैलाने वाले बयान या पोस्ट को बोलने की आजादी का हिस्सा नहीं माना जा सकता। ये बात कोर्ट ने वजाहत खान के केस में कही। खान ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली को पहलगाम हत्याओं पर सांप्रदायिक पोस्ट करने के लिए गिरफ्तार करवाया था। लेकिन अब खान खुद मुश्किल में हैं। उनके खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर हिंदुओं के खिलाफ हेट स्पीच करने के लिए FIR दर्ज हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, असम, हरियाणा और महाराष्ट्र पुलिस को खान को गिरफ्तार करने से रोक दिया है। कोर्ट ने कहा कि खान के पोस्ट संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत बोलने की आजादी में नहीं आते।

‘बदले की भावना से दर्ज हुई FIR’

खान के वकील डी एस नायडू ने जस्टिस के वी विश्वनाथन और जस्टिस कोटिश्वर सिंह की बेंच को बताया कि खान के खिलाफ FIR इसलिए दर्ज हुईं क्योंकि उन्होंने पनोली के खिलाफ पश्चिम बंगाल पुलिस में शिकायत की थी। नायडू ने कहा कि खान ने 2023 में किए अपने कमेंट्स डिलीट कर दिए थे और ‘हिंदू भाइयों और बहनों’ से माफी मांगते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था। लेकिन कोर्ट ने कहा कि कमेंट्स डिलीट करने से बात खत्म नहीं होती, क्योंकि ये पोस्ट नफरत फैलाने वाले थे।

‘खान को मिल चुका है सबक’

नायडू ने कोर्ट को बताया कि खान पहले से ही पश्चिम बंगाल में दो FIR के मामले में पुलिस और ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। उन्होंने रिक्वेस्ट की कि सभी FIR को एक जगह मर्ज कर दिया जाए, जैसा सुप्रीम कोर्ट ने पहले कई केस में किया है। नायडू ने कहा कि खान शायद अपने किए की सजा भुगत रहे हैं और उन्हें सबक मिल चुका है।

कोर्ट ने चार राज्यों की पुलिस को खान के खिलाफ सख्त एक्शन लेने से मना किया है, जहां उनके उसी पोस्ट के लिए अलग-अलग FIR दर्ज हैं। कोर्ट ने दोहराया कि सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट बोलने की आजादी का हिस्सा नहीं हैं।

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