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9 महीने बाद खत्म होगा इंतजार, धरती पर लौटेंगे सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर

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NASA Astronauts: नौ महीने की लंबी प्रतीक्षा के बाद, NASA के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर (Sunita Williams and Butch Wilmore) आखिरकार 19 मार्च को पृथ्वी पर लौटने वाले हैं।

ये दोनों पिछले साल 5 जून को बोइंग के नए स्टारलाइनर कैप्सूल से अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए थे। मिशन केवल आठ दिनों का था, लेकिन अंतरिक्ष यान में हीलियम रिसाव और वेग (Helium Leak and Velocity) की समस्याओं के कारण यह सफर नौ महीने लंबा हो गया।

उनकी वापसी के लिए स्पेसएक्स का यान पहले ही अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंच चुका है, जो नए अंतरिक्ष यात्रियों को वहां तैनात करेगा।

अंतरिक्ष से वापसी के बाद शारीरिक चुनौतियां

अंतरिक्ष में भारहीनता का लंबे समय तक असर रहने के कारण पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

गुरुत्वाकर्षण के अभाव में शरीर की संरचना बदल जाती है, जिससे वापस आने पर मतली, चक्कर आना, चलने में दिक्कत और आंखों की समस्या हो सकती है।

“बेबी फीट” सिंड्रोम और संतुलन की समस्या

अंतरिक्ष में रहने के दौरान तलवों की मोटी त्वचा धीरे-धीरे खत्म हो जाती है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के पैर नवजात शिशु की तरह मुलायम हो जाते हैं।

इसे “बेबी फीट” कहा जाता है। वहीं, पृथ्वी पर लौटते ही शरीर को गुरुत्वाकर्षण के हिसाब से खुद को ढालने में दिक्कत होती है। कई अंतरिक्ष यात्रियों ने यह स्वीकार किया है कि लौटने के बाद संतुलन बनाने और सामान्य रूप से चलने में हफ्तों लग जाते हैं।

गुरुत्वाकर्षण और रक्त प्रवाह पर असर

वजनहीनता के कारण शरीर के तरल पदार्थ ऊपर की ओर जमा हो जाते हैं, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के चेहरे फूले हुए दिखते हैं।

पृथ्वी पर लौटने के बाद, गुरुत्वाकर्षण शरीर के तरल पदार्थों को नीचे की ओर खींचता है, जिससे उन्हें अचानक चक्कर आने लगते हैं। इस स्थिति को “ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन” (Orthostatic Hypotension) कहा जाता है, जिसमें हृदय से सिर तक रक्त पहुंचने में कठिनाई होती है।

हड्डियों और मांसपेशियों पर पड़ता है प्रभाव

नासा के अनुसार, अंतरिक्ष यात्रियों की हड्डियों का घनत्व हर महीने करीब 1% कम हो जाता है, जिससे लंबे समय तक वजन उठाने वाली हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।

इससे बचने के लिए अंतरिक्ष यात्रियों को रोजाना करीब दो घंटे तक विशेष व्यायाम करना पड़ता है। अगर वे ऐसा न करें, तो महीनों तक तैरते रहने के कारण पृथ्वी पर लौटने के बाद वे खड़े होने या चलने में असमर्थ हो सकते हैं।

संक्रमण और बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा

अंतरिक्ष में प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर (System Weak) हो जाती है, जिससे पृथ्वी पर लौटने के बाद संक्रमण और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

NASA के वैज्ञानिकों के मुताबिक, अंतरिक्ष यात्रियों के शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो सकती है, जिससे उन्हें सामान्य फ्लू से लेकर गंभीर संक्रमण तक होने की संभावना रहती है।

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