Washington News: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की पूर्व राजदूत निक्की हेली ने भारत को रूसी तेल खरीद के मुद्दे पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चिंताओं को “गंभीरता” से लेने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि भारत को व्हाइट हाउस के साथ मिलकर “जल्द से जल्द” इस मसले का समाधान निकालना चाहिए।
हेली ने अपनी X पोस्ट में लिखा, “दुनिया की दो सबसे बड़ी लोकतांत्रिक ताकतों के बीच दशकों की दोस्ती और भरोसा मौजूदा तनाव को पीछे छोड़ने की मजबूत नींव देता है।”
चीन के खिलाफ भारत-US साझेदारी क्यों अहम?
हेली ने जोर देकर कहा कि व्यापार विवाद और रूसी तेल आयात जैसे मुद्दों पर “कठिन बातचीत” जरूरी है, लेकिन दोनों देशों को अपने साझा लक्ष्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए। न्यूजवीक में अपने लेख में उन्होंने लिखा, “चीन का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत जैसे दोस्त की जरूरत है। भारत का उभार, चीन के विस्तार के बाद सबसे बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव है।
जैसे-जैसे भारत की ताकत बढ़ेगी, चीन की महत्वाकांक्षाएं कमजोर पड़ेंगी।” हेली ने भारत को “मूल्यवान लोकतांत्रिक साझेदार” बताते हुए कहा कि इसे चीन जैसे प्रतिद्वंद्वी की तरह नहीं, बल्कि दोस्त की तरह देखा जाना चाहिए।
ट्रंप की टैरिफ नीति और भारत का जवाब
ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर 50% टैरिफ लगाया है, जिसमें 25% रूसी तेल खरीद के लिए अतिरिक्त शुल्क शामिल है, जो 27 अगस्त से लागू होगा। ट्रंप ने कहा कि भारत की तेल खरीद यूक्रेन युद्ध को “अप्रत्यक्ष रूप से फंड” कर रही है।
जवाब में, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने टैरिफ को “अनुचित और अतार्किक” बताया और कहा कि भारत की ऊर्जा खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार की गतिशीलता पर आधारित है। भारत ने यह भी बताया कि अमेरिका खुद रूस से यूरेनियम, पैलेडियम और उर्वरक आयात करता है।
हेली की आलोचना और सुझाव
हेली ने ट्रंप की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि चीन, जो रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है, को 90-दिन की टैरिफ छूट दी गई, जबकि भारत पर सख्ती की जा रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत-US रिश्तों में तनाव बीजिंग को फायदा पहुंचा सकता है।
हेली ने ट्रंप और PM नरेंद्र मोदी के बीच “तत्काल बातचीत” की वकालत की ताकि रिश्तों में “स्थायी दरार” न पड़े। उन्होंने कहा कि भारत US की सप्लाई चेन को चीन से हटाने में मददगार है, खासकर टेक्सटाइल, सस्ते फोन और सोलर पैनल जैसे उत्पादों में।