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झारखंड के 40 फीसदी स्कूल पारा शिक्षकों के हवाले

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रांची: झारखंड में सरकारी विद्यालयों (Government Schools) में सुविधाओं की बात करें तो यहां पर व्यवस्था बहुत बेहतर नहीं है। विद्यालयों में व्यवस्था केवल कागजों पर दिखाई जा रही है।

हकीकत में इस पर कोई काम नहीं हुआ है। हालात ये हैं कि दो तिहाई प्राइमरी विद्यालय (Primary School) तो ऐसे हैं, जिनकी घेराबंदी तक नहीं की गई है। वहीं, आधे से अधिक विद्यालयों में खेल के मैदान तक नहीं बनाए गए हैं।

झारखंड के 40 फीसदी स्कूल पारा शिक्षकों के हवाले - 40 percent of Jharkhand's schools handed over to mercury teachers

इनकी संख्या करीब 64 प्रतिशत है। इसके अलावा 37 फीसदी विद्यालयों तो ऐसे हैं जहां उनकी खुद की Library तक नहीं है। यह खुलासा ज्ञान विज्ञान समिति ने की है।

बताया गया कि समिति द्वारा सितंबर-अक्तूबर में झारखंड के 138 प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों (Primary and Upper Primary Schools) का सर्वेक्षण किया गया था। इसके लिए विद्यालयों का चयन सैंपल के लिए किया गया।

जिसमें उक्त बातें निकलकर सामने आईं हैं। अधिकतर स्कूलों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का पालन नहीं हो रहा है।

झारखंड के 40 फीसदी स्कूल पारा शिक्षकों के हवाले - 40 percent of Jharkhand's schools handed over to mercury teachers

आधे विद्यालय तो पारा शिक्षकों के हवाले

रिपोर्ट में बताया गया कि राज्य के 40 फीसदी स्कूल पारा शिक्षकों के हवाले हैं। इसमें प्राइमरी स्कूलों में 55 पारा शिक्षक और अपर प्राइमरी में 37 फीसदी पारा टीचर हैं।

जबकि, अधिकतर स्कूलों में आदिवासी व दलित बच्चे अध्ययनरत हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि झारखंड में स्कूली शिक्षा प्रणाली शिक्षकों की कमी से जूझ रही है।

झारखंड के 40 फीसदी स्कूल पारा शिक्षकों के हवाले - 40 percent of Jharkhand's schools handed over to mercury teachers

53 प्राइमरी व 19 अपर प्राइमरी स्कूलों (Primary School) में शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत निर्धारित छात्र-शिक्षक का अनुपात 30 से कम है। ऐसे में राज्य सरकार शिक्षा को बेहतर बनाने की बात कहती है।

जिस तरह से स्कूलों (School) में व्यवस्था नहीं है, उससे यही प्रतीत होता है कि शिक्षा का स्तर इस तरह से सुधार पाना काफी मुश्किल है।

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