पाकुड़: पाकुड़ डीएफओ कार्यालय के पास फैली चार एकड़ भूमि पर फाॅसिल्स म्यूजियम बनाया जाएगा।
इसके निर्माण के साथ ही पाकुड़, अमड़ापाड़ा सहित जिले के अन्य स्थानों पर बिखरे पड़े जीवाष्मों को संरक्षित किया जाएगा, ताकि इस अंतरराष्ट्रीय धरोहर को बचाया जा सके।
पाकुड़ डीएफओ रजनीश कुमार के मुताबिक वन विभाग के पास वाली भूमि पर जीवाष्म म्यूजियम बन जाने पर वहां जीवाष्मों को संरक्षित किया जाएगा।
जिस पर भू वैज्ञानिक काम करेंगे। उसके विस्तृत अध्ययन व शोध से काफी जानकारियां मिल पाएंगी।
इसके लिए बीरबल साहनी संस्थान, लखनऊ से संपर्क किया जा रहा है। अध्ययन के लिए वहां के शिक्षक व शोधकर्ताओं का दल यहां आएगा।
साहिबगंज काॅलेज के भू वैज्ञानिक डाॅक्टर रंजीत कुमार सिंह ने बताया कि पृथ्वी पर वर्षों पूर्व जीवित रहने वाले व प्राचीन सजीवों के परिरक्षित अवशेषों अथवा चट्टानों में उनके द्वारा छोड़े गए छापों जो पृथ्वी पर सुरक्षित रह गए हैं उन्हें ही जीवाष्म कहा जाता है।
पाकुड़ जिले में अधिकांश स्थानों पर पादप जीवाष्म मिले हैं। इन अंतरराष्ट्रीय धरोहरों को संरक्षित किया जाना जरूरी है।
प्रकृति, पर्यावरण व पृथ्वी को समझने के लिए उनका अध्ययन आवश्यक है। उनका अध्ययन हमें पर्यावरण परिवर्तन के अलावा वैश्विक महामारी आदि के कारणों की भी जानकारी मिल पाएगी।




