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झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों में जिलास्तरीय पदों पर सिर्फ स्थानीय लोगों की नियुक्ति का नियम समाप्त

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रांची: झारखंड के 13 अनुसूचित जिलों में जिला स्तरीय पदों पर नियुक्ति के लिए राज्य सरकार की ओर से नया संकल्प जारी कर दिया गया है।

पहले इन पदों पर होने वाली नियुक्तियों में जिले के स्थानीय लोगों को प्राथमिकता दी जाती थी। अब नये संकल्प में यह व्यवस्था समाप्त कर दी गयी है।

कार्मिक विभाग ने झारखंड हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में सरकार की ओर से जारी 2016 के संकल्प और 2018 में जारी संशोधित संकल्प को वापस ले लिया है।

कार्मिक सचिव वंदना दादेल के हस्ताक्षर से बुधवार को इस संबंध में संकल्प जारी किया गया है।

विभाग ने कहा है कि जिला स्तर के समूह ख अराजपत्रित, समूह ग और समूह घ पदों पर नियुक्तियों में संबंधित जिले के स्थानीय निवासियों को प्राथमिकता देने संबंधी कार्मिक के संकल्प को तत्काल प्रभाव से आहरित (वापस) किया जाता है।

विभाग के नये संकल्प में यह भी कहा गया है कि समूह ख राजपत्रित, समूह ग और समूह घ के पदों पर नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं से संबंधित सभी विज्ञापन जो कार्मिक विभाग के पूर्व के संकल्प के आलोक में जारी किये गये थे और उनमें नियुक्ति पत्र जारी नहीं किये गये हैं, उन्हें रद्द कर दिया गया है।

इन मामलों में अब नये सिरे से विज्ञापन जारी कर कार्रवाई की जायेगी। राज्य सरकार ने सोनी कुमारी बनाम झारखंड राज्य एवं अन्य के मामले उच्च न्यायालय के द्वारा दिये गये फैसले के आलोक में संकल्प जारी किया है।

बताया गया है कि राज्य हित में रिक्त सरकारी पदों पर नियुक्ति सुगमता पूर्वक करने के लिए राज्य सरकार द्वारा यह निर्णय लिया गया है।

नये संकल्प में कहा गया है कि कार्मिक विभाग द्वारा 4 जुलाई 2016 को जारी अधिसूचना और 1 जून 2018 को जारी संकल्प में जहां भी वर्ग तीन एवं वर्ग चार अथवा तृतीय श्रेणी और चतुर्थ श्रेणी शब्द का प्रयोग किया गया है, वहां पर समूह ख के अराजपत्रित तथा समूह ग और समूह घ में प्रतिस्थापित किया जाये।

पहले के संकल्प में यह प्रावधान था कि 13 अनुसूचित जिलों साहिबगंज, पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, लातेहार, रांची, खूंटी, गुमला, लोहरदगा, सिमडेगा, पूर्वी यूपी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला खरसावां के स्थानीय निवासी ही संबंधित जिलों के विभिन्न विभागों की जिला संवर्ग के तृतीय और चतुर्थ वर्गीय पदों पर नियुक्ति के पात्र होंगे।

यह व्यवस्था 10 साल के लिए लागू करने का प्रावधान किया गया था। नये संकल्प के अनुसार यह व्यवस्था समाप्त हो गयी है।

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