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झारखंड में मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने में दुमका पहले स्थान पर, जानें अपने जिले का हाल

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रांची: मनरेगा मांग आधारित मजदूरी रोजगार कार्यक्रम है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के लिए एवं आजीविका की सुरक्षा बढ़ाने के लिए काम करता है।

यह आजीविका सुरक्षा प्रदान करने की योजना है, जिसके तहत ग्रामीण परिवारों के पास जब कोई रोजगार नहीं हो, तो उनके लिए बेहतर अवसर उपलब्ध नहीं हो। इसके तहत साल भर में 100 दिन की गारंटीयुक्त रोजगार की व्यवस्था की गई है।

यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने लोकसभा में दी। लोकसभा में रांची सांसद संजय सेठ ने बुधवार को मनरेगा से जुड़े सवाल पूछे थे।

इसमें झारखंड में मनरेगा नियमों के अनुपालन, झारखंड में मनरेगा मजदूरों को दी गई मजदूरी, 100 दिन का रोजगार और अब तक भारत सरकार द्वारा दिए गए आवंटन राशि से संबंधित जानकारी मांगी गई थी।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत झारखंड को विगत तीन वर्षों में लगभग 6000 करोड रुपये की राशि उपलब्ध कराई गई है।

6036 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया

2018 -19 में 1538 करोड़ रुपये, 219-20 में 1311 करोड रुपये और 2020-21 में 3489 करोड रुपये झारखंड को उपलब्ध कराए गए।

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि अब तक मिली रिपोर्ट के अनुसार मनरेगा योजना के तहत झारखंड में मास्टर रोल बंद होने के 15 दिनों के भीतर 100 प्रतिशत लोगों को भुगतान किया जा चुका है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि 100 दिन का रोजगार पाने वाले झारखंड में परिवारों की संख्या 88,331 है, जिसमें सबसे अधिक परिवार दुमका जिले में है जहां 8472 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया।

इसके अलावा पश्चिम सिंहभूम जिले में 6036 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया। गढ़वा जिले में 5512 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया जबकि रांची जिले में 5172 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया।

सबसे कम रोजगार कोडरमा जिले के परिवारों को उपलब्ध कराया गया, यहां सिर्फ 967 परिवारों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराया गया।

इस तरह आवश्यकता के अनुसार हर जिले के जरूरतमंद परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराने का काम मनरेगा के द्वारा किया जाता है।

अब तक मिले आंकड़ों के अनुसार झारखंड में मनरेगा के तहत 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने में दुमका जिला अव्वल स्थान पर है, वहीं कोडरमा जिला सबसे पिछड़ा रहा।

झारखंड की राजधानी रांची 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराने के मामले में राज्य में पांचवें स्थान पर है।

सांसद संजय सेठ ने कहा कि लगातार आ रहे आंकड़ों के अनुसार यह स्पष्ट है कि भारत सरकार पर्याप्त मात्रा में झारखंड को रोजगार और विकास दोनों ही के लिए राशि उपलब्ध करा रही है।

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