HomeUncategorizedज्ञानवापी मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

ज्ञानवापी मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

spot_img
spot_img
spot_img

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद(Gyanvapi Mosque) के मामले पर सुनवाई कल यानि 20 मई तक के लिए टाल दी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने वाराणसी की निचली अदालत को निर्देश दिया कि वो आज इस मामले में कोई आदेश जारी न करे।

आज सुनवाई के दौरान वाराणसी की निचली अदालत में याचिकाकर्ताओं के वकील ने आज सुनवाई टालने की मांग की। वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि वाराणसी कोर्ट में याचिकाकर्ताओं के वकील हरिशंकर जैन 18 मई को अस्पताल से डिस्चार्ज हुए हैं।

उन्होंने आज सुनवाई टालने की मांग की। वकील हुफेजा अहमदी ने आज वाराणसी कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की।कोर्ट ने 17 मई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिले शिवलिंग को सील करने का आदेश दिया था।

कोर्ट ने कहा था कि मुस्लिमों को नमाज के लिए प्रवेश करने से नहीं रोका जाए। कोर्ट ने कहा था कि निचली अदालत की सुनवाई पर कोई रोक नहीं है।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील हुफेजा अहमदी ने कहा था मस्जिद परिसर में मां श्रृंगार गौरी, गणेश और दूसरे देवताओं के पूजा-दर्शन का अधिकार मांगा गया है।

देवताओं के पूजा-दर्शन का अधिकार मांगा गया

यह इस जगह की स्थिति को बदल देगा, जो अभी मस्ज़िद है। अहमदी ने कहा था कि हमने कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति को चुनौती दी, जो खारिज हो गई। कमिश्नर बदलने की मांग भी ठुकरा दी गई। कहा गया कि आप कमिश्नर नहीं चुन सकते, सिर्फ तथ्यों की जांच हो रही है।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा था कि कमीशन ने कब काम किया। तब अहमदी ने कहा था कि 14 और 15 मई को। उनको पता था कि सुप्रीम कोर्ट(Supreme court) सुनवाई करने वाला है, फिर भी उन्होंने अपनी कार्रवाई की। फिर कहा गया कि शिवलिंग मिला है।

निचली अदालत से 16 मई को सीलिंग का आदेश पारित हो गया। कमीशन की तरफ से हुई कार्रवाई की गोपनीय रखी जानी चाहिए थी लेकिन सार्वजनिक हो गई। इसके बाद पुलिस, प्रशासन को आदेश दिया गया है। नमाज़ियों की संख्या सीमित कर दी गई है।

कोर्ट ने कहा कि आवेदन में काफी बातें मांगी गई लेकिन कोर्ट ने बस सीलिंग का आदेश दिया। इस पर अहमदी ने कहा कि धार्मिक स्थल की स्थिति बदली जा रही है। तब कोर्ट ने कहा कि हम आदेश देंगे कि आपके आवेदन का सिविल कोर्ट जल्द निपटारा करे।

तब अहमदी ने कहा कि सिर्फ इतनी बात नहीं है। सिविल कोर्ट के सभी आदेशों पर रोक लगनी चाहिए। अयोध्या केस में सुप्रीम कोर्ट कह चुका है कि प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट सभी धर्मस्थलों पर लागू है।

प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट सभी धर्मस्थलों पर लागू

सुप्रीम कोर्ट यह देखे कि क्या निचली अदालत में यह वाद चलना चाहिए था। तब कोर्ट ने कहा कि वादी के लिए निचली अदालत में कौन वकील है।

यूपी सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि हरिशंकर जैन पेश हुए थे लेकिन मुझे बताया गया है कि वह बीमार हैं।

अहमदी ने कहा कि कमेटी की रिपोर्ट जमा हुए बिना और मुस्लिम पक्ष को सुने बिना निचली अदालत ने सीलिंग का आदेश दिया है, जो गलत है।

कोर्ट ने कहा कि हम निचली अदालत को निर्देश देना चाहते हैं कि जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखा जाए लेकिन लोगों को नमाज से न रोका जाए। तब मेहता ने कहा था कि वज़ूखाने में शिवलिंग मिला है, जो हाथ-पैर धोने की जगह है।

नमाज की जगह अलग होती है। मेहता ने कहा था कि शिवलिंग को नुकसान न पहुंचे और तब कोर्ट ने कहा कि हम सुरक्षा का आदेश देंगे। तब मेहता ने कहा कि मैं इस पर कल बताना चाहूंगा।

आपके आदेश का कोई अवांछित असर न पड़े, हम यह चाहते हैं। अहमदी ने कहा कि इस आदेश से जगह की स्थिति बदल जाएगी। वज़ू के बिना नमाज नहीं होती। उस जगह का इस्तेमाल सदियों से हो रहा है।

तब कोर्ट ने कहा कि हम 19 मई को सुनवाई करेंगे। अभी हम उस जगह के संरक्षण का आदेश बरकरार रखेंगे। हम डीएम को इसका निर्देश देंगे। अगर कोई शिवलिंग मिला है तो उसका संरक्षण ज़रूरी है। लेकिन अभी नमाज नहीं रोकी जानी चाहिए।

शिवलिंग मिला है तो उसका संरक्षण ज़रूरी,लेकिन अभी नमाज नहीं रोकी जानी चाहिए

कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। 19 मई को सुनवाई करेंगे। उस दिन सिविल कोर्ट में जो वादी हैं, उनके वकील को भी सुना जाएगा। हम 16 मई के आदेश को सीमित कर रहे हैं।

तब मेहता ने कहा कि अगर किसी ने शिवलिंग पर पैर लगा दिया तो कानून-व्यवस्था की स्थिति प्रभावित हो सकती है। तब अहमदी ने कहा कि वज़ू अनिवार्य है। तब मेहता ने कहा कि वह कहीं और भी हो सकती है।

उसके बाद कोर्ट ने कहा कि हम वाराणसी के डीएम को आदेश दे रहे हैं कि जहां शिवलिंग मिला है, उस जगह को सुरक्षित रखें। नमाज़ से लोगों को न रोका जाए। निचली अदालत की सुनवाई पर रोक नहीं है।

यह याचिका अंजुमन इंतजामिया मस्जिद की मैनेजमेंट कमिटी(Management Committee of Anjuman Inazaniya Mosque) ने दायर की है। याचिका में वाराणसी निचली अदालत से जारी सर्वे के आदेश को 1991 प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के खिलाफ बताया है।

सुनवाई के दौरान हुफेजा ने कहा था कि वाराणसी का ज्ञानवापी मस्जिद प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत आता है लेकिन वाराणसी की निचली अदालत ने इस कानून का उल्लंघन करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया है।

बता दें कि वाराणसी की निचली अदालत ने ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे का आदेश दिया था लेकिन ये सर्वे मस्जिद कमेटी ने नहीं होने दिया था। दरअसल पांच हिन्दू महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद के पश्चिमी दीवार के पीछे पूजा करने की मांग की है।

spot_img

Latest articles

जियो बना भारत का सबसे बड़ा 5G नेटवर्क — 23 करोड़ से ज्यादा यूजर जुड़े

Jio Becomes India's Largest 5G Network: भारत में 5G तकनीक की दौड़ तेज हो...

रांची में ब्राउन शुगर का बड़ा रैकेट ध्वस्त, चार गिरफ्तार

Major Brown sugar Racket Busted in Ranchi : रांची पुलिस ने नशे के कारोबार...

झारखंड सरकार ने दो जेल अधीक्षकों का तबादला किया, खाली पदों पर नई पोस्टिंग

Jharkhand Government Transfers two jail Superintendents: झारखंड सरकार ने जेल विभाग में बड़े पैमाने...

खबरें और भी हैं...