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झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी का मुद्दा गूंजा

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रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र (Jharkhand Assembly Budget Session) के तीसरे दिन बुधवार को आउटसोर्सिंग कंपनियों (Outsourcing Companies) की मनमानी का मुद्दा गूंजा। विधायक प्रदीप यादव ने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में समान काम के लिए समान वेतन का मामला उठाया।

उन्होंने कहा कि राज्य में एक ही काम के लिए तीन तरह का वेतन (Salary) दिया जा रहा है। स्थायी कर्मी को लाखों वेतन मिल रहा है जबकि अस्थायी कर्मी को बहुत कम वेतन दिया जा रहा है।

झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी का मुद्दा गूंजा -The issue of arbitrariness of outsourcing companies echoed in the Jharkhand Assembly

उन्होंने कहा कि आलम यह है कि आठ हजार की नौकरी के लिए 35 हजार की घूस ली जा रही है वो भी Online , यह दुर्भाग्यपूर्ण है। आउटसोर्सिंग दोहन का जरिया है।

अस्थायी नियुक्ति को सरकार अवैध मानती है तो इस काम पर लगे लोगों पर सरकार रोक क्यों नहीं लगाती। उन्होंने कहा कि हरित फाउंडेशन (Green Foundation) ने घूस लेकर अस्थायी नियुक्ति कराई और मानदेय भी नहीं दे रहा है।

झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी का मुद्दा गूंजा -The issue of arbitrariness of outsourcing companies echoed in the Jharkhand Assembly

रामेश्वर उरांव ने कहा…

उन्होंने कहा कि यह सर्वोच्च न्यायालय के समान काम के बदले समान वेतन के निर्णय का उल्लंघन है। सरकार इसपर अविलंब रोक लगाए।

जवाब में वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव (Rameshwar Oraon) ने कहा कि नियुक्ति को लेकर सरकार का अपना नियम है। हमें संविधान के अनुरूप काम करना पड़ता है। संविधान से बाहर जाकर कोई निर्णय नहीं ले सकते।

उन्होंने कहा कि नियमित कर्मचारी ओपन बाजार से लिए जाते हैं। परीक्षा ली जाती है। उन्हें कई प्रोसेस से गुजरना पड़ता है। हजारों लोग परीक्षा में बैठते हैं। कुछ सेलेक्ट होते हैं। अधिकांश रिजेक्ट होते हैं, जहां तक संविदा या अस्थायी कर्मी की बात है, इसकी नियुक्ति राज्य या क्षेत्रीय कमिटी करती है।

झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी का मुद्दा गूंजा -The issue of arbitrariness of outsourcing companies echoed in the Jharkhand Assembly

सरकार रिपोर्ट के आधार पर करेगी काम

उन्होंने कहा कि कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मियों को नियमित करने ले लिए विकास आयुक्त की अध्यक्षता में कमिटी अध्ययन कर रही है। 10 वर्षों से कॉन्ट्रैक्ट पर काम कर रहे कर्मियों को नियमित करने का निर्णय 2015 में हुआ था।

झारखंड विधानसभा में आउटसोर्सिंग कंपनियों की मनमानी का मुद्दा गूंजा -The issue of arbitrariness of outsourcing companies echoed in the Jharkhand Assembly

इसके बाद 2019 में भी यह निर्णय हुआ है। इसमें कुछ आपत्ति थी जिसपर विकास आयुक्त (Development Commissioner) की अध्यक्षता वाली कमिटी अध्ययन कर रही है। बहुत जल्द इसका रिपोर्ट आने वाला है। सरकार रिपोर्ट के आधार पर काम करेगी।

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