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मणिपुर में 140 हथियार किए गए सरेंडर, केंद्रीय गृह मंत्री की अपील के अगले दिन….

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  • दो समुदायों के बीच भड़की हिंसा के 1 महीने बाद केंद्रीय गृहमंत्री 4 दिनों की यात्रा पर
  • शाह ने चेतावनी दी थी कि हथियार जमा नहीं करने पर जांच अभियान में कड़ी कार्रवाई
  • बताया जा रहा है कि अधिकतर जिलों में अब धीरे-धीरे बन रही शांति की स्थिति
  • स्थिति सुधारने के साथ ही कई जिलों से हटाया जा रहा कर्फ्यू
  • जनजातीय एकता मार्च के बाद राज्य के विभिन्न जिलों में भड़क उठी थी हिंसा

इंफाल : Union Home Minister अमित शाह (Amit Shah) की ओर से एक दिन पहले की गई अपील के बाद मणिपुर (Manipur) में विभिन्न स्थानों पर लोगों ने 140 से अधिक हथियार जमा कराये हैं।

सूत्रों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। अमित शाह ने मणिपुर के अपने चार दिवसीय दौरे के आखिरी दिन बृहस्पतिवार को सभी संबंधितों पक्षों से अपील की थी कि वे अपने हथियार सुरक्षाबलों और प्रशासन को सौंप दें।

सौंपे गए हथियारों (Weapons) में सेल्फ-लोडिंग राइफलें (Self-Loading Rifles), कार्बाइन, एके और इंसास राइफलें, लाइट मशीन गन, पिस्तौल, M-16 राइफल, स्मोक गन/आंसू गैस, स्टेन गन और ग्रेनेड लॉन्चर शामिल हैं।

राज्य में जल्द ही चलाया जाएगा तलाशी अभियान

सूत्रों ने कहा कि शुक्रवार सुबह तक सामुदायिक हॉल सहित 272 राहत शिविरों में करीब 37,450 लोग रह रहे हैं।

शाह ने यह भी चेतावनी दी थी कि राज्य में जल्द ही तलाशी अभियान चलाया जाएगा और किसी के पास कोई हथियार पाए जाने पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी

सूत्रों के मुताबिक मणिपुर में ज्यादातर जिलों में स्थिति कुल मिलाकर शांतिपूर्ण है और उपद्रवियों द्वारा खाली घरों में गोलियां चलाने या आग लगाने की छिटपुट घटनाएं अब दुर्लभ होती जा रही हैं, क्योंकि विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं।

3 मई को मणिपुर में जातीय संघर्ष (Ethnic Conflict) शुरू होने के बाद गृह मंत्री ने पहली बार पूर्वोत्तर राज्य का दौरा किया है। मणिपुर में ‘जनजातीय एकता मार्च’ के बाद जातीय हिंसा भड़क उठी थी।

अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80

अनुसूचित जाति (ST) के दर्जे की मांग को लेकर मेइती समुदाय ने तीन मई को प्रदर्शन किया था जिसके बाद ‘जनजातीय एकता मार्च’ का आयोजन किया गया था।

मणिपुर करीब एक महीने से जातीय हिंसा से प्रभावित है और राज्य में इस दौरान झड़पों में इजाफा देखा गया है।

कुछ सप्ताह की खामोशी के बाद पिछले रविवार को सुरक्षा बलों एवं उग्रवादियों के बीच गोलीबारी भी हुई। अधिकारियों ने बताया कि संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 80 हो गई है।

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