Latest Newsझारखंडकिसान संगठनों और सरकार के बीच बढ़ी दूरी

किसान संगठनों और सरकार के बीच बढ़ी दूरी

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नई दिल्ली: किसान आंदोलन से जुड़े मुद्दों को वार्ता के जरिए हल करने के प्रयासों को शुक्रवार को उस वक्त धक्का पहुंचा जब किसान नेताओं और सरकार के बीच 11वें दौर की बातचीत भी बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई।

 बैठक की अगली तारीख का ऐलान भी नहीं किया गया।

बैठक के बाद किसान नेताओं ने कहा कि सरकार चाहती थी कि कानून में संशोधन और उनके अमल पर एक-डेढ़ वर्ष के लिए रोक लगाने संबंधी पेशकश पर चर्चा की जाए।

जबकि, किसान संगठन कानूनों की वापसी पर कायम थे।

किसान नेताओं के अनुसार बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि कृषि कानूनों में कोई कमी नहीं है।

सरकार ने किसानों का सम्मान करते हुए उनके सामने पेशकश की थी।

इस पर किसान संगठन फैसला नहीं कर सके।

किसान संगठन आने वाले दिनों में यदि किसी निर्णय पर पहुंचते हैं तो सरकार को सूचित करें।

सरकार पूरे प्रकरण पर किसान संगठनों के साथ फिर चर्चा करेगी।

भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार की ओर से बैठक में कहा गया कि वार्ता का अगला दौर तभी होगा जब किसान संगठन सरकार की पेशकश स्वीकार करेंगे।

टिकैत ने कहा कि 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार होगी।

एक अन्य किसान नेता एसएस पंढ़ेर ने कहा कि कृषि मंत्री ने बैठक में किसान नेताओं को साढ़े तीन घंटे तक इंतजार कराया।

उन्होंने इसे किसानों का अपमान बताया। किसान नेता ने बताया कि कृषि मंत्री ने कहा कि किसान संगठन सरकार के प्रस्तावों पर विचार करें।

किसान नेताओं के अनुसार कृषि मंत्री ने कहा कि यह सरकार वार्ता संबंधी बैठकों की प्रक्रिया को समाप्त कर रही है।

उल्लेखनीय है कि पिछले करीब एक महीने के दौरान सरकार और किसान संगठनों के बीच कुछ अंतराल के बाद बातचीत होती रही है।

बातचीत का पिछला दौर सबसे सकारात्मक था जब सरकार ने नए कृषि कानूनों को एक-डेढ़ साल तक स्थगित करने की पेशकश की थी।

सरकार के इस प्रस्ताव को किसान नेताओं ने खारिज कर दिया था।

किसान संगठनों के इस रवैये के कारण; लगता है कि सरकार का मिजाज भी कुछ सख्त हो गया है।

किसान आंदोलन और राजधानी दिल्ली की घेराबंदी का मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है।

26 जनवरी की प्रस्ताविक ट्रैक्टर रैली रोकने के लिए कोर्ट ने कोई आदेश जारी करने से इन्कार कर दिया है।

हालांकि, कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा है कि वह कानून व्यवस्था और परिस्थितियों के आधार पर खुद फैसला कर सकती है।

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