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बन्ना को लगा झटका, सरयू के खिलाफ कोर्ट में मानहानि का मुकदमा खारिज, अब…

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जमशेदपुर: राज्य के हेल्थ मिनिस्टर (Health Minister) बन्ना गुप्ता (Banna Gupta) और निर्दलीय विधायक सरयू राय (Saryu Rai) के बीच की लड़ाई में बन्ना गुप्ता को एक झटका लगा है।

बुधवार को उनकी ओर से सरयू राय के खिलाफ दायर मानहानि का मुकदमा कोर्ट ने खारिज कर दिया है।

मुकदमा चाईबासा (Chaibasa) की MP-MLA कोर्ट में 10 मई को दायर की गई थी।

जनप्रतिनिधियों के लिए बने विशेष न्यायालय के न्यायिक दंडाधिकारी ऋषि कुमार की अदालत में शिकायतवाद दायर किया गया था।

न्यायालय द्वारा शिकायतकर्ता के एसए एवं कोर्ट में जमा किए गए दस्तावेज का परीक्षण किया गया।

इसके बाद इसे खारिज कर दिया गया।

क्यों खारिज हुआ मुकदमा

मंत्री की ओर से दायर मुकदमे में दिए गए सबूत एवं तथ्यों को परीक्षण के दौरान कोर्ट ने नन मेंटनेबुल (सुनवाई योग्य नहीं) पाया। इसलिए इसे खारिज कर दिया।

मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा विधायक सरयू राय के विरुद्ध आरोप लगाया गया था की विधायक सरयू राय द्वारा राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण उनके द्वारा उनके सोशल मीडिया (Twitter & Facebook) हैंडल एवं स्थानीय समाचार पत्रों में गलत जानकारी एवं असत्य तथ्य प्रसारित किया गया है।

मंत्री पर प्रतिबंधित हथियार रखने तथा उसका उपयोग किए जाने की बात याचिका में कही गई थी।

मंत्री की ओर से इस मामले में मानहानि (Civil) की बजाय क्रिमिनल केस दायर किया गया।

न्यायिक दंडाधिकारी ऋषि कुमार की अदालत ने शिकायकर्ता बन्ना गुप्ता की शिकायतवाद को “नन मेंटनेबुल” करार दिया।

कोर्ट में शिकायतकर्ता बन्ना गुप्ता द्वारा उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों से अदालत ने यह नहीं पाया कि आरोपी बनाए गए विधायक सरयू राय के खिलाफ सुनवाई के लिए पर्याप्त साक्ष्य एवं सामग्री उपलब्ध हैं।

अत: कोर्ट ने विधायक सरयू राय के विरुद्ध दायर शिकायतवाद (सं. 182/2023) को ख़ारिज कर दिया।

सिविल की बजाय क्रिमिनल केस

गौरतलब है कि मंत्री बन्ना गुप्ता के अधिवक्ता की ओर से 3 मई 2023 को भेजे गए लीगल नोटिस (Legal Notice) में विधायक सरयू राय पर मंत्री बन्ना गुप्ता की सार्वजनिक छवि खराब करने का आरोप लगाया गया था।

साथ ही 10 करोड़ रुपये की मानहानि का दावा करने की बात कही गई थी।

नोटिस मिलने के बाद विधायक ने नोटिस की जगह कूड़ेदान बताते हुए जवाब देने की बजाय मामला कोर्ट में ले जाने की चुनौती दी।

10 करोड़ की मानहानि (सिविल) का केस करने की बजाय अधिवक्ता की ओर से सोशल मीडिया पर बदनामी का हवाला देते हुए क्रिमिनल केस (Criminal Case) दायर किया।

अंततः यह मामला कोर्ट में टिक नहीं सका और कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया।

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