Homeझारखंडसुप्रीम कोर्ट ने को महिला आयोग की याचिका स्किन-टू-स्किन उत्पीड़न को किया...

सुप्रीम कोर्ट ने को महिला आयोग की याचिका स्किन-टू-स्किन उत्पीड़न को किया मंजूर

Published on

spot_img

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट के विवादास्पद फैसले को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 39 वर्षीय व्यक्ति को 12 साल की एक लड़की को उसके कपड़ों के ऊपर से छेड़छाड़ करने के आरोप में बरी कर दिया था और कहा था कि इसमें त्वचा से त्वचा (स्किन-टू-स्किन) का संपर्क नहीं हुआ है।

इस फैसले का विरोध करते हुए महिला आयोग ने इसे शारीरिक स्पर्श की विकृत व्याख्या करार दिया था।

प्रधान न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनसीडब्ल्यू का पक्ष रख रहीं वरिष्ठ अधिवक्ता गीता लूथरा से पूछा कि आखिर उसे अलग से याचिका क्यों स्वीकार करना चाहिए, जब शीर्ष अदालत पहले ही हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा चुकी है और आरोपी जेल में है।

इस पर लूथरा ने दलील देते हुए एनसीडब्ल्यू अधिनियम का हवाला दिया और कहा कि कानून आयोग को अधिकार देता है कि वह ऐसे मामले, जहां कानून की गलत व्याख्या होती है, उनमें सुधार के लिए अदालत का रुख करे।

वकील शिवानी लूथरा लोहिया और नितिन सलूजा के माध्यम से दायर की गई याचिका में एनसीडब्ल्यू ने कहा है, शारीरिक स्पर्श की विकृत व्याख्या से महिलाओं के मौलिक अधिकारों पर विपरीत असर पड़ेगा, जो समाज में यौन अपराधों की पीड़िता हैं और यह महिलाओं के हितों की रक्षा के उद्देश्य से लाए कानूनों के प्रभाव को कमतर करेगा।

बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायाधीश ए.एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रमण्यन भी शामिल थे।

सुनवाई के आरंभ में वेणुगोपाल ने पीठ के समक्ष कहा कि न्यायालय 27 जनवरी को हाईकोर्ट के फैसले पर पहले ही रोक लगा चुका है और मामले में कई नई याचिकाएं दायर की गई हैं।

सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए एनसीडब्ल्यू की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

पीठ ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार द्वारा दायर एक अलग याचिका में आरोपी को भी नोटिस जारी किया।

आयोग ने कहा कि वह इस आदेश से दुखी है और हाईकोर्ट द्वारा अपनाई गई व्याख्या कि धारा 7 में शारीरिक संपर्क यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम (पोस्को) का अर्थ केवल त्वचा से त्वचा का स्पर्श है।

धारा 7 को स्पष्ट करते हुए, महिला आयोग ने कहा कि अगर कोई अभियुक्त यौन इरादे से किसी पीड़ित (या किसी पीड़ित के शरीर का अंग) को छूता है तो यौन हमला का काम तो अपने आप में ही पूरा हो जाता है।

इसने स्पष्ट करते हुए कहा कि इस मामले में संपर्क का कोई और वर्गीकरण नहीं हो सकता, यानी त्वचा से त्वचा का संपर्क।

अन्य याचिकाकर्ताओं, यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया और भारतीय स्त्री शक्ति ने बॉम्बे हाईकोर्ट के 19 जनवरी के फैसले के खिलाफ दायर अपनी याचिका वापस ले ली।

spot_img

Latest articles

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति: जिलास्तर पर तय होगी शराब दुकानों की संख्या

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति के तहत शराब दुकानों की संख्या...

क्सलियों की साजिश नाकाम, 18 IED बम बरामद

Chaibasa-Khunti News: पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी जिले की सीमा पर बुधवार को सुरक्षा बलों...

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से की मुलाकात 

Ranchi News: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को...

शिबू सोरेन की सेहत में सुधार, दिल्ली के अस्पताल में खतरे से बाहर

Ranchi News: झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संरक्षक और राज्यसभा सांसद शिबू सोरेन की...

खबरें और भी हैं...

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति: जिलास्तर पर तय होगी शराब दुकानों की संख्या

Jharkhand Product Policy: झारखंड में नयी उत्पाद नीति के तहत शराब दुकानों की संख्या...

क्सलियों की साजिश नाकाम, 18 IED बम बरामद

Chaibasa-Khunti News: पश्चिमी सिंहभूम और खूंटी जिले की सीमा पर बुधवार को सुरक्षा बलों...

बाबूलाल मरांडी ने हेमंत सोरेन से की मुलाकात 

Ranchi News: भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने बुधवार को...