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ईरान-इजरायल जंग में ईरान की मिसाइलों ने मचाई तबाही, खोर्रमशहर और खीबर मिसाइलें बनेंगी गेमचेंजर?

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Israel Iran War: इजरायल और ईरान के बीच जंग 20 जून 2025 को आठवें दिन में प्रवेश कर चुकी है। दोनों देश एक-दूसरे पर मिसाइल और ड्रोन हमले कर रहे हैं, जिससे मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर है।

इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को खुली धमकी दी है और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ व्हाइट हाउस में मुलाकात की। ट्रंप ने कहा, “पाकिस्तान इजरायल के लिए खराब नहीं है,” जिससे यह सवाल उठ रहा है कि क्या पाकिस्तान अमेरिकी दबाव में इजरायल को मान्यता दे सकता है।

सोरोका अस्पताल पर ईरान का हमला

ईरान ने 19 जून को इजरायल के बीरशेबा शहर में सोरोका अस्पताल पर बैलिस्टिक मिसाइलों से हमला किया, जिससे भारी तबाही मची। इस हमले में अस्पताल को गंभीर नुकसान हुआ, और अफरातफरी के बीच लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागे।

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे “तेहरान के तानाशाहों की कायरतापूर्ण कार्रवाई” करार दिया और कहा, “ईरान को इसकी पूरी कीमत चुकानी पड़ेगी।” ईरान ने तेल अवीव के रमत गण इलाके में इजरायली स्टॉक एक्सचेंज और रिहायशी क्षेत्रों को भी निशाना बनाया, जिससे कम से कम 25 लोग मारे गए और 50 से अधिक घायल हुए।

इस हमले को इजरायल द्वारा ईरान के अरक में निष्क्रिय परमाणु रिएक्टर पर किए गए हमले का जवाब माना जा रहा है। इजरायल ने 40 फाइटर जेट्स के साथ अरक पर हवाई हमला किया, जिससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम को भारी नुकसान पहुंचा।

इजरायल की ताकत बनाम ईरान का मिसाइल भंडार

इजरायल के पास दुनिया का सबसे उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम-आयरन डोम और ऐरो-3-है, लेकिन इसके मिसाइल इंटरसेप्टर सीमित हैं।

  • इजरायल के मिसाइल इंटरसेप्टर का स्टॉक।
  • ईरान की लंबी दूरी की मिसाइलों का भंडार।

पिछले सात दिनों में इजरायल ने ईरान की ज्यादातर बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में सफलता पाई है, लेकिन उसका इंटरसेप्टर स्टॉक तेजी से खत्म हो रहा है। इजरायल अब ईरान के मिसाइल लॉन्चरों को निशाना बना रहा है, ताकि उसकी हमलावर क्षमता को कम किया जा सके।

दूसरी ओर, ईरान ने अपने सबसे घातक हथियार-फतह-2 हाइपरसोनिक मिसाइल, खोर्रमशहर बैलिस्टिक मिसाइल, और अरश आत्मघाती ड्रोन-का अभी तक इस्तेमाल नहीं किया है। खोर्रमशहर मिसाइल, जिसकी रेंज 2,000 किमी और गति 9,878-19,756 किमी/घंटा है, 1,800 किलो विस्फोटक ले जा सकती है। इसे ट्रक लॉन्चर से दागा जा सकता है, जो इसे अत्यंत लचीला बनाता है।

खीबर मिसाइल (खोर्रमशहर का चौथा वैरिएंट) मल्टीपल वॉरहेड तकनीक से लैस है, जो एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है। ईरान ने इसे 2023 में “शांति का प्रतीक” बताकर दुनिया के सामने पेश किया था। रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इन हथियारों के कारण ईरान सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई अमेरिका और इजरायल के सामने झुकने को तैयार नहीं हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले की योजना को दी मंजूरी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर हमले की योजना को मंजूरी दी है, लेकिन अंतिम फैसला दो हफ्ते में लेंगे। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि ट्रंप कूटनीतिक समाधान चाहते हैं, लेकिन ईरान का परमाणु कार्यक्रम खत्म करना उनकी प्राथमिकता है। ट्रंप ने दावा किया कि ईरान अब बातचीत को तैयार है, लेकिन समय निकल चुका है। उन्होंने ईरान से तेहरान खाली करने की चेतावनी भी दी।

अमेरिका ने इजरायल को 300 हेलफायर मिसाइलें भेजकर अप्रत्यक्ष समर्थन दिया है, जिनका इस्तेमाल ईरान के सैन्य ठिकानों और परमाणु वैज्ञानिकों को निशाना बनाने में हुआ। हालांकि, ट्रंप ने सीधे युद्ध में शामिल होने से इनकार किया है, लेकिन मिडिल ईस्ट में नौसैनिक बेड़े और लड़ाकू विमान तैनात किए हैं।

पाकिस्तान और इजरायल की मान्यता

ट्रंप ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर के साथ 18 जून को व्हाइट हाउस में मुलाकात की। ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान इजरायल के लिए “खराब नहीं है,” जिससे कयास लग रहे हैं कि क्या पाकिस्तान अमेरिकी दबाव में इजरायल को मान्यता दे सकता है।

हालांकि, पाकिस्तान ने ईरान के साथ मिलकर इजरायल के खिलाफ हमले का दावा खारिज किया है। ईरानी कमांडर मोहसेन रेजाई ने कहा कि पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों से जवाब देने का आश्वासन दिया है, लेकिन पाकिस्तान ने इसे खारिज कर दिया।

पाकिस्तान ने ईरान के साथ अपनी सीमा बंद कर दी है, और बलूचिस्तान में ईंधन संकट पैदा हो गया है। जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान अमेरिकी आर्थिक मदद के लिए इजरायल के प्रति नरम रुख अपना सकता है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।

कौन जीतेगा?

इजरायल की ताकत उसके उन्नत एयर डिफेंस सिस्टम और अमेरिकी समर्थन में है, लेकिन सीमित इंटरसेप्टर स्टॉक उसकी कमजोरी है। दूसरी ओर, ईरान का विशाल मिसाइल भंडार और खोर्रमशहर व खीबर जैसी मिसाइलें उसे मजबूत बनाती हैं। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान ने अपने सबसे घातक हथियारों का अभी तक इस्तेमाल नहीं किया है, जिससे वह लंबे समय तक टिका रह सकता है।

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