Supreme Court on Bail: सुप्रीम कोर्ट ने जमानत की शर्तों को लेकर महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि जमानत देते समय बहुत सख्त और बोझिल शर्तें नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि ऐसी शर्तें जमानत को नकार देती हैं। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि शर्तों को पूरी तरह खारिज करना सही नहीं, क्योंकि यह हर केस के तथ्यों और परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें मद्रास हाईकोर्ट की जमानत शर्तों को चुनौती दी गई थी।
GST टैक्स चोरी का मामला
मामला 13.73 करोड़ रुपये की GST टैक्स चोरी से जुड़ा है, जिसमें एक कारोबारी को 27 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। हाईकोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कारोबारी के वकील ने बताया कि उन्होंने 2.86 करोड़ रुपये पहले ही जमा कर दिए हैं और 2.50 करोड़ रुपये जमानत मिलने के 10 दिन में जमा करने को तैयार हैं।
हाईकोर्ट की जमानत शर्तें
8 मई को हाईकोर्ट ने कारोबारी को 50 लाख रुपये जमा करने और 10 लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दी। बाद में 14 मई को शर्त में बदलाव करते हुए हाईकोर्ट ने 2.50 करोड़ रुपये 10 दिन में जमा करने की छूट दे दी।
सुप्रीम कोर्ट में याचिका, जताई नाराजगी
कारोबारी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर कहा कि इतनी बड़ी रकम जमा करने की शर्त अनुचित है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर नाराजगी जताई, क्योंकि हाईकोर्ट में वकील ने खुद यह रकम जमा करने की पेशकश की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि वकील को ऐसा कहने का अधिकार नहीं था। कोर्ट ने इस प्रवृत्ति की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ऐसी पेशकश से कोर्ट की प्रक्रिया प्रभावित होती है।
हाईकोर्ट का आदेश बरकरार
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के 14 मई के आदेश को बरकरार रखा और याचिकाकर्ता को जमानत की शर्त के तहत 2.50 करोड़ रुपये 10 दिन में जमा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर यह पेशकश नहीं की जाती, तो हाईकोर्ट मामले की मेरिट पर फैसला लेता।