Central Trade Unions: कोल्हान संयुक्त मंच, जिसमें केंद्रीय ट्रेड यूनियनों (Central Trade Unions) और स्वतंत्र फेडरेशनों (Independent Federations) का समावेश है, ने 9 जुलाई को प्रस्तावित मजदूरों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल (Nationwide Strike) के लिए तैयारियां तेज कर दी हैं।
पहलगाम घटना के कारण स्थगित हुई इस हड़ताल को अब 9 जुलाई के लिए पुनर्निर्धारित (Rescheduled) किया गया है। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि यह हड़ताल चार श्रम संहिताओं (Labour Codes) के खिलाफ एकजुट संघर्ष का हिस्सा है, जो मजदूरों के अधिकारों (Workers’ Rights) को कमजोर करने का प्रयास कर रही हैं।
श्रम संहिताओं के खिलाफ मजदूरों का गुस्सा
सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस (Press Conference) में मंच के अध्यक्ष राकेश्वर पांडेय ने बताया कि सितंबर 2020 में अलोकतांत्रिक तरीके (Undemocratic Manner) से पारित इन श्रम संहिताओं को मजदूरों के विरोध के बावजूद लागू करने की कोशिश की जा रही है।
उन्होंने चेतावनी दी कि इनके लागू होने से मजदूर न्यूनतम वेतन (Minimum Wage), बोनस (Bonus), ओवरटाइम (Overtime), सुरक्षा (Safety), पीएफ (Provident Fund), और ग्रेच्युटी (Gratuity) जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हो जाएंगे।
साथ ही, स्थायी रोजगार (Permanent Employment) खत्म कर ठेका प्रथा (Contract Labour) और फिक्स्ड टर्म रोजगार (Fixed-Term Employment) को बढ़ावा मिलेगा। यूनियन बनाने और सामूहिक सौदेबाजी (Collective Bargaining) के अधिकार भी सीमित हो जाएंगे।
किसान-युवा संगठनों का साथ
हड़ताल को संयुक्त किसान मोर्चा (United Farmers’ Front) सहित कई महिला, युवा, और छात्र संगठनों (Women, Youth, and Student Organizations) का समर्थन प्राप्त हुआ है। ट्रेड यूनियनों ने सरकार पर कॉरपोरेट हितों (Corporate Interests) को बढ़ावा देने, सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण (Privatization), ठेका प्रथा को प्रोत्साहन देने, और महंगाई (Inflation) व बेरोजगारी (Unemployment) पर नियंत्रण न कर पाने का आरोप लगाया। मंच ने स्पष्ट किया कि यह संघर्ष तब तक जारी रहेगा, जब तक निर्णायक परिणाम (Decisive Outcome) नहीं मिलता।