Paramveer Albert Ekka on his death Anniversary: झारखंड में इस बार एक बेहद हैरान कर देने वाली घटना सामने आई है। पहली बार परमवीर चक्र विजेता अल्बर्ट एक्का की पुण्यतिथि पर मेनरोड स्थित उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित नहीं किए गए।
गुरुवार को पूर्व TAC सदस्य रतन तिर्की ने इस मुद्दे पर प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नाराज़गी जताई। उनका कहना है कि झारखंड के 25 साल के इतिहास में पहली बार किसी महापुरुष का इतना बड़ा अपमान हुआ है।
सेना हर साल करती थी सम्मान, इस बार क्यों चूक?
सामान्यत: हर साल भारतीय सेना परमवीर अल्बर्ट एक्का चौक (Indian Army Paramvir Albert Ekka Chowk) को सजाकर श्रद्धांजलि देती है। सेना के जवान सबसे पहले पहुंचकर प्रतिमा को पुष्पांजलि अर्पित करते हैं।
सिपाही सैल्यूट करते हैं और बैंड भी बजाया जाता है। लेकिन इस बार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। न कोई कार्यक्रम हुआ, न पुष्पांजलि दी गई और न ही सेना का बैंड बजा। लोग यह सोचने को मजबूर हैं कि आखिर भारतीय सेना कैसे परमवीर अल्बर्ट एक्का की पुण्यतिथि भूल गई।
राजनीतिक दलों से संकल्प जारी करने की मांग
रतन तिर्की ने कहा कि शीतकालीन सत्र में विधानसभा के अंदर सभी राजनीतिक पार्टियों को मिलकर परमवीर अल्बर्ट एक्का के समाधि स्थल के निर्माण और सौंदर्यीकरण के लिए संकल्प पत्र जारी करना चाहिए।
यह जरूरी है कि शहीदों के सम्मान को प्राथमिकता दी जाए, क्योंकि वह देश की शान होते हैं।
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड में हर स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में शहीदों के बारे में जानकारी दी जानी चाहिए, ताकि बच्चों में देशभक्ति की भावना जाग सके।
छात्रों को सिखाई जाए देशभक्ति
रतन तिर्की (Ratan Tirkey) ने शिक्षा विभाग और संस्थानों के प्रबंधन से आग्रह किया कि बच्चों को झारखंड के शहीदों की कहानियां बताई जाएं। इससे नई पीढ़ी को ये समझ आएगा कि देश की रक्षा के लिए कितनी कुर्बानी दी जाती है और हमें अपने नायकों को कभी नहीं भूलना चाहिए।
यह घटना अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी हुई है। सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि आने वाले दिनों में प्रशासन और सेना इसकी क्या सफाई देती है।




