Jharkhand High Court : रांची में राज्य में पेसा नियमावली लागू करने को लेकर दायर याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) में अब 13 जनवरी को सुनवाई होगी।
मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि इसी दिन होने वाली कैबिनेट बैठक में पेसा नियमावली का मसौदा रखा जाएगा। सरकार ने इस मामले में कुछ समय देने का आग्रह किया, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया।
कोर्ट ने मांगी प्रगति रिपोर्ट
मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) के मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ में हुई। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि अगली सुनवाई तक इस मामले में प्रगति रिपोर्ट पेश की जाए।
बालू घाट और लघु खनिजों पर रोक बरकरार
कोर्ट ने राज्य में बालू घाटों और लघु खनिजों के आवंटन पर पहले से लगी रोक को फिलहाल बरकरार रखा है। इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय पेसा नियमावली से जुड़ी प्रगति को देखते हुए लिया जाएगा।
पहले भी तैयार हो चुका है ड्राफ्ट
पिछली सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से अदालत को बताया गया था कि पंचायती राज विभाग (Panchayati Raj Department) ने पेसा नियमावली का प्रारूप तैयार कर लिया है।
यह प्रारूप पहले कैबिनेट को-ऑर्डिनेशन कमेटी को भेजा गया था, लेकिन आपत्तियां आने के बाद संशोधन कर इसे दोबारा ड्राफ्ट कमेटी को भेजा गया। वहां से इसे कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है।
1996 से लागू है पेसा कानून
उल्लेखनीय है कि पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 यानी पेसा कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 1996 में लागू किया था।
इसका उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों के अधिकारों और हितों की रक्षा करना है। हालांकि, एकीकृत बिहार के समय से लेकर झारखंड गठन के बाद तक राज्य में इस कानून के तहत नियमावली नहीं बन पाई है।
अवमानना याचिका के बाद बढ़ा दबाव
झारखंड सरकार ने वर्ष 2019 और 2023 में पेसा नियमावली का ड्राफ्ट जरूर तैयार किया था, लेकिन उसे लागू नहीं किया गया।
इसके बाद आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की ओर से अवमानना याचिका दाखिल की गई, जिसके बाद यह मामला फिर से High Court के संज्ञान में आया। अब सभी की नजरें 13 जनवरी की सुनवाई पर टिकी हैं, जहां यह स्पष्ट हो सकता है कि राज्य में पेसा नियमावली को लेकर आगे की दिशा क्या होगी।




