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प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की आड़ में चल रहे अनगिनत डमी स्कूल, अब तक…

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Admission in Dummy schools!: देश में ऐसे कई डमी स्कूल चलते हैं, जो वास्तव में पढ़ाई नहीं बल्कि पढ़ाई के नाम पर बड़ा व्यापार करते हैं। दुर्भाग्य से ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई भी नहीं हो पाती है।

हम जानते हैं कि देश में बड़ी संख्या में Students स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में भी जुट जाते हैं। 12वीं की बोर्ड परीक्षा के साथ ही वह JEE-NEET परीक्षाओं की तैयारी भी करते रहते हैं।

कई स्टूडेंट्स को तो 8वीं-9वीं कक्षा से ही प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग में Admission दिला दिया जाता है। जिसके चलते देश में Dummy schools में का प्रचलन बढ़ रहा है।

11वीं और 12वीं के छात्रों को मोटी फीस के एवज में एडमिशन दे रहे

दिल्ली में बीते साल प्रिंसिपलों के एक पैनल ने डमी स्कूलों को लेकर दिल्ली में निरीक्षण किया था, लेकिन उनके द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) को भेजी रिपोर्ट के बाद उन स्कूलों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जो 11वीं और 12वीं के छात्रों को मोटी फीस के एवज में Admission दे रहे हैं।

डमी स्कूल आम स्कूलों की तरह होते हैं। बस यहां नियमित क्लासेस नहीं चलती हैं। इन्हें नॉन-अटेंडिंग स्कूल भी कहा जाता है। इन स्कूलों में Admission तो नियमित स्कूलों की तरह दिया जाता है, लेकिन स्टूडेंट्स को रेगुलर क्लास अटेंड नहीं करनी होती हैं। इससे वे JEE-MAIN, JEE Advanced, NEET परीक्षा आदि की तैयारी पर ज्यादा फोकस कर पाते हैं।

बोर्ड परीक्षाओं में बैठने में सक्षम होने के लिए छात्रों को 75 फीसदी अनिवार्य उपस्थिति की आवश्यकता होती है।

इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए माता-पिता अपने बच्चों को डमी स्कूलों में डालने का विकल्प चुनते हैं। डमी स्कूलों में आमतौर पर एक दिन में 2 Classes होती हैं।

बोर्ड परीक्षा और स्कूल सिलेबस पर ध्यान केंद्रित करते हुए हर दिन एक या दो घंटे तक क्लासेस चलती हैं। स्टूडेंट्स बाकी समय का उपयोग अपने कोचिंग सेंटर में पढ़ने के लिए करते हैं। अधिकतर स्टूडेंट्स कोचिंग सेंटर में रोजाना 8-9 घंटे बिताते हैं।

अभी तक स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं

एक Media Report में कहा गया है कि पिछले दिसंबर में CBSE द्वारा दिल्ली में Dummy schools का निरीक्षण करने के लिए प्रिंसिपलों एक पैनल तैयार किया था।

पैनल ने राज्य के आसपास 34 स्कूलों का निरीक्षण किया और 23 को डमी संस्थान के अनुरूप माना था।

पैनल के सदस्यों का कहना था कि निरीक्षण के वक्त एक स्कूल में पाया गया कि वहां 9 वीं और 10 वीं कक्षा में 60 छात्र थे, लेकिन 11वीं और 12वीं में यह संख्या बढ़कर 500 हो गई। ऐसे काम के खिलाफ शिकायत दर्ज हुई थी, लेकिन उसके मुताबिक अभी तक स्कूलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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