Basant Panchami 2022 : कैसे मिला सृष्टि को सुरों का वरदान, जानें इसके पीछे की एक पौराणिक कथा

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Basant Panchami 2022 : माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह पर्व देशभर में 05 फरवरी 2022 को मनाया जाने वाला है।

इस दिन ज्ञान और सुर की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है, लेकिन बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की ही आराधना क्यों होती है?

इसके पीछे एक पौराणिक कथा है।

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एक पौराणिक कथा है कि संसार की रचना करने के बाद ब्रह्माजी को लगा कि सृष्टि में कुछ ऐसा है जो बाकी है। उन्हें महसूस हुआ कि उनकी रचना में कोई कमी रह गई है। उन्होंने देखा कि पूरी सृष्टि मूक है, हर तरफ विचित्र सा मौन है।

तब मां सरस्वती ने बजाई वीणा

ब्रह्माजी ने इसके बाद संकल्प करके नाद को सुना। तब उन्हें स्वर की कमी महसूस हुई। उन्होंने इसी दौरान अपनी मन की शक्ति एक स्त्री शक्ति को प्रकट किया। देवी के चेहरे पर एक अद्भुत तेज दिख रहा था। देवी ने बह्माजी को प्रणाम किया। इनके हाथ में एक वीणा थी। ब्रह्माजी ने उन्हें यह बजाने के लिए कहा।

सृष्टि को मिला सुरों का वरदान

देवी ने वीणा के तार पर उंगलियां फिराईं तो उससे सुर प्रकट हुए। इस वीणा की आवाज इतनी मधुर थी कि इससे पूरी सृष्टी में एक स्वर आ गया। इसके बाद ही समस्त जीवों को आवाज मिल पाई और वह भावना को शब्द देने में भी सक्षम हो पाए।

देवी ने सृष्टि को रस से पूर्ण किया यह देख ब्रह्माजी ने देवी को सरस्वती नाम दिया। इसके बाद से ही मां सरस्वती का यह दिन उनके प्राकट्य के तौर पर बसंत पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा।

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