झारखंड

धनतेरस पर कारोबार : सर्राफा बाजार में बढ़ी रौनक, 15-18 फीसदी मुनाफे की उम्मीद

नई दिल्‍ली: यूं तो हर त्यौहार का अपना खास महत्व होता है, लेकिन धनतेरस की बात कुछ अलग है। इस दिन देशभर में लोग सोने-चांदी के सिक्के, बर्तन या आभूषण खरीदते है।

ऐसी मान्यता है कि इस दिन कुछ भी (वस्तु) खरीदने से उसमें 13 गुणा वृद्धि होती है।

कन्‍फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने शुक्रवार को बताया कि कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को समुद्र मंथन पर भगवान धनवंतरी अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे, जिसके बाद ही इस तिथि को धनतेरस यानी धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।

इसलिए इस दिन बाजार में सोना और चांदी की खीरदारी जमकर लोग करते हैं।

गौरतलब है कि सोना और चांदी देश में निवेशकों की प्राचीन काल से ही पहली पसंद रहा है। आमतौर पर भारतीय परिवार अपनी हैसियत के मुताबिक सोने व चांदी में निवेश करते रहे हैं।

सोना और चांदी ने निवेशकों को कभी निराश नहीं किया है। कैट की गोल्ड एंड ज्वेलरी कमेटी के चेयरमैन पंकज अरोरा ने बताया कि पिछले वर्ष धनतेरस 2019 में सोने का भाव 38923 रुपये प्रति 10 ग्राम और चांदी का भाव रूपये 46491 प्रति किलो था, जबकि इस साल नवंबर में सोने का भाव बढ़कर 50520 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गया है, जबकि चांदी की कीमत भी बढ़कर 63,044 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गया है।

इस प्रकार सोने में निवेश करने वाले को 30 फीसदी और चांदी में निवेश करने वाले को 35 फीसदी तक का लाभ मिला है।

अरोरा ने बताया कि भारत में विविध संस्कृतियों और त्योहारों का समावेश है, जिसमें धनतेरस और दीपावली का विशेष महत्‍व है। इन त्‍योहारों के मौके पर प्रत्येक भारतीय परिवार अपनी हैसियत के अनुसार सोने-चांदी में निवेश करता है।

यह निवेश बुलियन, सिक्के, गहने आदि के रूप में होता है।

भरतिया ने कहा कि कोरोना की वजह से देश में लोगो की क्रय छमता में कमी आई है। लेकिन सोने-चांदी के बढ़ती कीमतों को देखते हुए इस साल भी बाजारों में भारी निवेश की उम्मीद की जा रही है।

हमेशा की तरह इस बार भी सोना-चांदी निवेशकों की पहली पसंद ही रहेगा, जिसके लिए सर्राफा बाजारों ने पूरी तैयारी की है। बाजारों में हर रेंज के साथ ग्राहकों के लिए वेरायटीज उपलब्ध हैं।

पिछले साल धनतेरस पर सोने-चांदी की बिक्री के मुकाबले इस बार बिक्री 15 फीसदी से 18 फीसदी की बढ़ोतरी की उम्मीद है।

अरोरा ने बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में सोने के गहनों की खपत तो घटी है। उन्‍होंने कहा कि कोरोना की वजह से पिछले वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही में सोने के गहने की खपत देश मे 101.6 टन थी।

वहीं, इस साल की दूसरी तिमाही में ये खपत 48 फीसदी गिरकर 52.8 टन रह गई है, जबकि गोल्ड बार व सिक्कों में सुरक्षित निवेश के लिहाज से वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही में खपत 149.4 टन से 49 फीसदी बढ़कर 221.1 टन हुई थी।

इस साल भी ऐसी ही उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना काल के परिणाम स्वरूप लोग ज्यादातर सोने और चांदी में ही निवेश करेंगे, जो कि सुरक्षित माना जाता है।

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