झारखंड

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रिंग रोड के लिए भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का दिया निर्देश

न्यूज़ अरोमा रांची: धनबाद जिले के भू-अर्जन घोटाले में आऱोपित पदाधिकारियों और कर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने रविवार को प्राथमिकी दर्ज करने को लेकर अपनी स्वीकृति दे दी है।

इसके तहत धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह मौजा में भू-अर्जन की प्रक्रिया में बरती गई अनियमितता मामले में आरोपित पदाधिकारियों और कर्मियों तथा भारतीय खनिज विद्यापीठ से संबंधित मामले में दो पदाधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी। इन दोनों मामलों की जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, एसीबी कर रही है।

इनके खिलाफ दर्ज होगी प्राथमिकी

धनसार हीरक रिंग रोड के गोलकाडीह में भू-अर्जन प्रक्रिया में हुई अनियमितता के मामले में तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी लाल मोहन नायक, तत्कालीन प्रभारी कानूनगो विजय कुमार सिंह, तत्कालीन अमीन श्यामपद मंडल, कार्यालय सहायक रामाशंकर प्रसाद, तत्कालीन नाजीर मो जिलानी (सेवानिवृत्त), तत्कालीन कार्यपालक अभियंता राजकुमार प्रसाद (सेवानिवृत्त), तत्कालीन सहायक अभियंता अरुण कुमार सिंह, तत्कालीन कनीय अभियंता जगतानंद प्रसाद और अधिवक्ता रमेश कुमार प्रसाद तथा अन्य लाभार्थी शामिल हैं. वहीं, भारतीय खनिज विद्यापीठ से संबंधित मामले में तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी उदयकांत पाठक (सेवामुक्त) और तत्कालीन जिला भू अर्जन पदाधिकारी नारायण विज्ञान प्रभाकर (सेवानिवृत्त) के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जाएगी।

क्या है पूरा मामला

झरिया पुनर्वास प्राधिकार द्वारा वर्ष 2010 में बाघमारा थाना क्षेत्र के तिलाटांड में 59.4 एकड़ भूमि अर्जित करने का प्रस्ताव मिला था।

वर्ष 2013 में आऱोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक ने पदाधिकारियों द्वारा 15 रैयतों के बीच 20 करोड़ से भी अधिक राशि का भुगतान करने का आदेश दिया गया।

लेकिन, रैयतों को मुआवजा भुगतान करने के लिए सक्षम पदाधिकारी से दर निर्धारित नहीं कराई गई।

इसके अलावा भू अर्जन अधिनियम औऱ झारखंड स्वैच्छिक भू अर्जन नियमावली के अंतर्गत निर्धारित अवधि के अंदर प्रभावित रैयतों से सहमति पत्र प्राप्त कर उचित मुआवजा भुगतान करने के लिए दखल कब्जा प्राप्त करने संबंधी निर्देशों का भी पालन नहीं किया गया।

इसके बाद रैयतों को भुगतान की कार्रवाई की गई और उसके पश्चात पंचाट की घोषणा नहीं होने से अभिलेख को व्ययगत घोषित कर दिया गया।

इससे साफ है कि आरोपी पदाधिकारी उदयकांत पाठक द्वारा गलत मंशा से राशि भुगतान की गई। इसमें 11 रैयतों को जोड़ापोखर पैक्स के माध्यम से भूमि का बगैर दखल कब्जा प्राप्त किए राशि भुगतान कराई गई। धनसार में संबंधित रैयतों को भुगतान की गई राशि बिचौलियों द्वारा निकाल ली गई।

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