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बच्चों का भविष्य संवारते शिनच्यांग के किंडरगार्टन

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बीजिंग: चीन का सुदूर पश्चिमी क्षेत्र शिनच्यांग उइगर स्वायत्त क्षेत्र शिक्षा को बहुत महत्व देता है। पिछले कुछ समय से शिनच्यांग की सरकार शैक्षिक विकास को प्राथमिकता दे रही है, निवेश बढ़ा रही है, और लोगों के हित के लिए शैक्षिक परियोजनाओं को लागू कर रही है।

शिनच्यांग में बालवाड़ी (किंडरगार्टन) से लेकर सीनियर मिडिल स्कूल तक सभी बच्चों को 15 साल की मुफ्त शिक्षा दी जाती है।

साल 2019 के लिए शिक्षा पर सरकार का खर्च 86.1 अरब युआन होने का अनुमान है, जिसमें 6.93 अरब युआन छात्र वित्त पोषण के लिए आवंटित किए गए हैं, जिससे 42 लाख 53 हजार छात्र लाभान्वित हुए हैं।

साल 2017 में, शिनच्यांग में देश के विभिन्न प्रांतो व शहरों की सरकार ने 4,408 ग्रामीण किंडरगार्टन के निर्माण, नवीनीकरण या विस्तार में 16.3 अरब युआन का निवेश किया। दक्षिणी शिनच्यांग के होटन कस्बे में हेशीए शिनसुन किंडरगार्टन को पेइचिंग सरकार ने आर्थिक मदद दी।

साल 2017 में बनकर तैयार हुआ हेशीए शिनसुन किंडरगार्टन होटन कस्बे और उसके आसपास के क्षेत्रों के बच्चों का भविष्य संवार रहा है।

इस किंडरगार्टन में मुख्यत: उइगर बच्चे पढ़ते हैं और सभी की पढ़ाई नि:शुल्क है। इसके अलावा, हर बच्चों को किताबें, कपड़े, जूते आदि मुफ्त दिये जाते हैं, साथ ही बच्चों को तीनों समय का नि:शुल्क भोजन भी दिया जाता है।

होटन कस्बे का यह ग्रामीण किंडरगार्टन बहुत अच्छी तरह से सुसज्जित है और सभी साधनों से संपन्न भी है।

यहां सभी जातीय समूहों के बच्चे बहुत खुशी से पढ़ते और स्वस्थ रूप से बढ़ते हैं। यहां पढ़ने वाले सभी बच्चों के माता-पिता या तो किसान हैं या फिर मजदूर हैं।

इस किंडरगार्टन में बच्चों को उइगर और हान दोनों भाषाओं में शिक्षा दी जाती है। सभी पाठ्य पुस्तक दोनों भाषाओं में हैं।

इस किंडरगार्टन की उइगर टीचर ऐकज ने चाइना मीडिया ग्रुप (सीएमजी) को बताया कि इन बच्चों के अभिभावक द्विभाषी शिक्षा का स्वागत करते हैं। वे मानते हैं कि बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए द्विभाषी शिक्षा बेहद जरूरी है।

इस किंडरगार्टन में 15 टीचर हैं जो अलग-अलग जातीय समूहों से हैं। बच्चों को भाषाओं की शिक्षा के अलावा डांस, चित्रकारी, शिष्टाचार आदि की भी शिक्षा दी जाती है।

इस किंडरगार्टन में 150 से अधिक बच्चे हैं, जो चीन के उइगर, हान और हुई जातीय समूहों से हैं। सभी बच्चे एक साथ खेलते हैं, सीखते हैं और बड़े होते हैं। सच में, वे अनार के बीज की भांति एक दूसरे को कसकर गले लगाते हुए अपना बचपन जी रहे हैं।

(अखिल पाराशर, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)

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