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झारखंड में कोरोना पॉजिटिव मरीजों को सुविधाएं मुहैया कराने का दावा सिर्फ बयानबाजी तक

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हजारीबाग: कोरोना संक्रमित मरीजों को आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने का प्रशासनिक दावा सिर्फ बयानबाजी तक सिमट कर रह गया है।

कोविड 19 संक्रमण से पीड़ित मरीजों का जीवन बचाने के लिए जरूरी ऑक्सीजन, रेमेडेसिवर के घोर अभाव के साथ अब अन्य जरुरी दवाएं भी बाजार से एक एक कर गायब होने लगी है।

ऐसे में मरीज की जान बचाने को लेकर परिजनों की चिंता और परेशानी बढ़ने लगी है।

बता दें कि घर में रहने वाले कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।

राज्य सरकार ने होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों के लिए जो दवा के उपयोग करने की सलाह दी है।

वह दवा बाजार में खोजने से नहीं मिल रही है। सरकारी मेडिकल किट का वितरण नहीं हो पा रहा है।

मरीजों के परिजनों को दवाओं के लिए मेडिकल स्टोर के चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

यही नहीं जांच में कोरोना पॉजिटिव पाए जा रहे मरीजों के स्वास्थ्य के बारे में फोन करके जानकारी तक नहीं ली जा रही है।

प्रशासन के द्वारा होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को कम से कम एक सप्ताह का मेडिकल किट घर पर उपलब्ध कराने की बात कही थी।

लेकिन वह मेडिकल किट ग्रामीण क्षेत्रों में घर में रहने वाले मरीजों को नहीं मिल पा रहा है।

कोरोना संक्रमण की जैसे-जैसे रफ्तार बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में उन दवाओं को लेकर हाहाकार मचने लगा है।

बाजार से कई जरूरी दवाएं गायब है। शहर में जहां अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद हैं वहीं मेडिकल स्टोर के आसपास दवाओं की तलाश में लोगों की भीड़ लगी रहती है।

नहीं मिल पा रही ये दवा, तलाश में मेडिकल स्टोर पर लग रही लोगों की भीड़

सरकारी अस्पताल से लेकर चिन्हित किए गए कोविड-19 अस्पताल में मरीजों को जगह नहीं मिल रही है। सभी अस्पताल कोरोना मरीजों से भरे पड़े हैं। कोरोना संक्रमित मरीज के भर्ती होने का सिलसिला जारी है।

ऐसे संकटकाल में अपने घर रह कर दवा चला रहे मरीजों को डॉक्सीसायक्लीन 100 एमजी, इवंरमेक्टिन 12 एमजी, एन एसिटाइल सिस्टीन 600 एमजी पेरासिटामोल 500 एमजी, विटामिन सी या सेलिन 500 एमजी, जिंक टेबलेट 500 एमजी, विटामिन डी 2500 एमजी दवा नहीं मिल पा रही है।

सर्दी खांसी में काम आने वाली दवा मोन्टेलुकास्ट एंड लेवोसेट्रीजीन की जगह सामान्य सेट्रिजीन दिया जा रहा है।

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