नई दिल्ली: कांग्रेस वर्किं ग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की शुक्रवार को लगभग साढ़े तीन घटे तक चली महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संकट का सबब बनी कथित चैट लीक की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराये जाने समेत तीन अहम प्रस्ताव पारित किए गए।
इस बैठक में तीन नए कृषि कानूनों को पूर्ण रूप से निरस्त करने की मांग सम्बंधी भी प्रस्ताव पारित किया गया।
रिकॉर्ड समय में कोविड महामारी का टीका तैयार करने के लिए सीडब्ल्यूसी ने वैज्ञानिकों की सराहना करते हुए लोगों से टीका लगवाने के लिए आगे आने का भी आह्वान किया।
इस वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने की।
इसमें पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और अन्य कई वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की।
बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कांग्रेस महासचिव (संगठन) केसी वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ने उस कथित चैट लीक पर अपनी गंभीर चिंता व्यक्त की है जिसने निसंदेह राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता किया है।
यह स्पष्ट है कि इसमें वे लोग भी शामिल हैं जो सरकार में शीर्ष पदों पर हैं।
देश के महत्वपूर्ण व संवेदनशील सैन्य गतिविधियों की गोपनीयता के साथ यह खिलवाड़ है।
सीडब्ल्यूसी ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।
वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी आधिकारिक सीक्रेट्स एक्ट के उल्लंघन और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने के इस मामले की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से निर्धारित समायवधि में जांच कराये जाने की मांग करती है।
साथ ही यह भी मांग करती है कि इस मामले में संलिप्त लोगों की भूमिका की भी जांच की जाए।
तीन कृषि कानूनों के बारे में वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी ऐसा मानती है कि ये तीनों कानून राज्यों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करते हैं और ये खाद्य सुरक्षा के तीनों स्तम्भ – एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य), सरकारी खरीद व पीडीएस (सार्वजनिक वितरण प्रणाली) को ध्वस्त करने की दिशा में पहला कदम हैं।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये तीनों कृषि कानून संसद के ऊपरी सदन में विपक्ष की आवाज को दबाकर थोपे गए हैं।
अगर ये कानून लागू होते हैं तो इससे देश का हर नागरिक प्रभावित होगा क्योंकि खाद्य पदार्थो की कीमत तय करना चंद लोगों के हाथ में होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि किसानों और खेतीहर मजदूरों की बस एक ही मांग है कि इन कानूनों को पूरी तरह रद्द किया जाए। लेकिन, सरकार किसानों को इस मुद्दे से भटकाकर उनके साथ छल करने का प्रयास कर रही है।
किसानों में फूट डालकर उन्हें गुमराह करने और मामले को टालकर उन्हें थकाने की कोशिश कर रही है।
वेणुगोपाल ने कहा कि सीडब्ल्यूसी मोदी सरकार से इन तीनों कृषि कानूनों को अविलंब रद्द करने की मांग करती है।
हमने 10 फरवरी से पहले पूरे देश में ब्लॉक स्तर पर कार्यक्रम आयोजित करने का निर्णय किया है।
इसके बाद 28 फरवरी के पहले जिला स्तर पर विरोध-प्रदर्शन किया जाएगा।
किसानों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए प्रदेश स्तर पर 28 फरवरी से पहले एक व्यापक अभियान चलाया जाएगा।
उन्होंने मांग की कि गरीबों, वंचितों विशेषकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों को कोविड का टीका एक निश्चित समयावधि में मुफ्त में उपलब्ध कराया जाना चाहिए।




