Buying and selling of second-hand vehicles: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हाल ही में हुए बम धमाके ने पूरे देश को हिला कर रख दिया है। जांच में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि आतंकवादियों ने इस हमले के लिए एक सेकेंड हैंड कार का इस्तेमाल किया था।
यह घटना सेकेंड हैंड वाहनों की खरीद-बिक्री में छिपे खतरों पर रोशनी डालती है। अगर आपने अपनी पुरानी गाड़ी बेच दी है या किसी से सेकेंड हैंड वाहन खरीदा है, लेकिन नाम ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी नहीं की, तो सावधान हो जाइए-यह लापरवाही आपको भारी पड़ सकती है।
आरटीओ के सख्त नियमों के मुताबिक, वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (RC) नए मालिक के नाम पर ट्रांसफर होने तक कानूनी मालिक वही व्यक्ति माना जाता है, जिसके नाम पर वाहन मूल रूप से पंजीकृत है।
अगर उस गाड़ी से कोई अपराध, यातायात उल्लंघन या आतंकी गतिविधि जुड़ती है, तो जिम्मेदारी पुराने मालिक पर ही आएगी। दिल्ली ब्लास्ट जैसे मामले में अगर RC ट्रांसफर नहीं हुआ होता, तो पुराना मालिक सीधे आरोपी की श्रेणी में आ सकता था।
यह समस्या सिर्फ दिल्ली तक सीमित नहीं है। रांची में दोपहिया और चारपहिया वाहनों के दर्जनों खरीदारों ने नाम ट्रांसफर की प्रक्रिया अधर में छोड़ दी है।
नतीजा-गाड़ी से होने वाले यातायात नियम उल्लंघनों के लिए जुर्माने की रसीदें ट्रैफिक पुलिस पुराने मालिकों को भेज रही है।
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले छह महीनों में 100 से अधिक वाहन चालकों ने आवेदन देकर शिकायत की है कि उन्होंने गाड़ी बेच दी, लेकिन अब भी जुर्माने उनके नाम आ रहे हैं।
ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े चौंकाने वाले
पिछले 6 महीनों में 100+ वाहन मालिकों ने आवेदन दिया कि उन्होंने गाड़ी बेच दी, लेकिन चालान उनके नाम आ रहा है।
कई मामलों में ओवरस्पीड, रेड लाइट जंप का चालान पुराने मालिक को भेजा गया।
हजारों लोग अभी भी RC ट्रांसफर नहीं कराए, खतरनाक लापरवाही!
क्या करें तुरंत?
गाड़ी बेची है? फॉर्म 29/30 भरें, खरीदार के साथ RTO जाएं।
खरीदी है? 14 दिन में RC ट्रांसफर कराएं।
दस्तावेज: बिक्री पत्र, PUC, इंश्योरेंस, ID प्रूफ।
ऑनलाइन भी संभव – parivahan.gov.in पर।


