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झारखंड में ‘मिनी ग्रिड पॉलिसी’ को लागू कर दूरदराज के गांव-देहातों में पहुंचाई जाएगी बिजली

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रांची: सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा) के तत्वावधान में शुक्रवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में एनर्जाइजिंग एक्सेस इन झारखंड स्टेकहोल्डर कंसल्टेशन फॉर मिनी ग्रिड पॉलिसी’ के बारे में जानकारी दी गई।

मौके पर जेरेडा के डायरेक्टर केके वर्मा ने कहा कि “झारखंड सरकार अक्षय ऊर्जा पर आधारित मिनी और माइक्रो ग्रिड प्रोजेक्ट्स के विकास के लिए प्रतिबद्ध है और प्रस्तावित नीति में इसी अनुरूप एक केडब्ल्यूपी से लेकर 500 केडब्ल्यूपी क्षमता के मिनी, माइक्रो ग्रिड परियोजनाओं को स्थापित करने का प्रावधान है।

ड्राफ्ट पॉलिसी के अनुसार सोलर, बायोमास एवं हाइड्रो जैसे अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर आधारित हाइब्रिड मॉडल सरकारी सब्सिडी, प्राइवेट या सामुदायिक वित्त पोषित परियोजनाओं के माध्यम से स्थापित हो सकते हैं।

“जेरेडा सभी स्टेकहोल्डर्स द्वारा समुचित निवेश और टेक्नोलॉजिकल इन्नोवेशंस एवं डेमोंस्ट्रेशन्स के लिए एक समर्थनकारी परिवेश तैयार करने को प्रतिबद्ध है, ताकि राज्य के सभी क्षेत्रों में ऊर्जा की पहुंच को आसान बनाया जा सके।”

मिनी, माइक्रो ग्रिड, चाहे वह स्वतंत्र स्थापित हों या सरकारी और निजी डेवलपर्स द्वारा शुरू किए गए हों, झारखंड के विविध भौगोलिक क्षेत्रों और दुर्गम इलाकों में ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिहाज से फिट बैठते हैं।

एक आकलन के अनुसार झारखंड में बिजली की मांग अगले चार-पांच वर्षों में 6000 मेगावाट तक पहुंच सकती है।

बढ़ती मांग के साथ तालमेल रखने के लिए ऊर्जा विभाग और जेरेडा ने स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों खासकर अक्षय ऊर्जा को प्राथमिकता दी है और इसी अनुरूप जेरेडा द्वारा राज्य के विभिन्न हिस्सों में 246 मिनी-ग्रिड स्थापित किए गए हैं।

कार्यक्रम में सीड के हेड-रिन्यूएबल एनर्जी अश्विनी अशोक ने कहा कि “झारखंड मिनी-माइक्रो ग्रिड पॉलिसी का उद्देश्य राज्य के उन दुर्गम और दूरदराज के गांव-देहातों में ऊर्जा सुविधा उपलब्ध कराना है, जहां गुणवत्तापूर्ण बिजली आपूर्ति एक चुनौती है।

मिनी ग्रिड नीति अक्षय ऊर्जा से जुड़े राज्य के रिन्यूएबल परचेज ऑब्लिगेशन के टारगेट को पूरा करने और क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों को रोकने से संबंधित भारत सरकार के संकल्पों को पूरा करने में भी मदद करेगी।

इस नीति के क्रियान्वयन से न सिर्फ ग्रामीण अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार एवं राज्य में आर्थिक विकास को बल मिलेगा, बल्कि जरूरतमंद समुदायों को गुणवत्तापूर्ण ऊर्जा सुविधा मिलेगी।

माइक्रो एवं मिनी ग्रिड की सकारात्मक भूमिका की सराहना करते हुए हमारा ग्रिड प्राइवेट लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर कर्नल विजय भास्कर ने कहा कि मिनी ग्रिड ग्रामीण इलाकों में ऊर्जा की कमी को पूरा करने में स्थानीय स्तर पर ही सक्षम हैं।

मिनी, माइक्रो ग्रिड्स उपभोक्ताओं को घरेलू, कृषि, वाणिज्यिक, स्थानीय उद्यमों और पंचायत कार्यालयों के लिए विश्वसनीय बिजली सेवा प्रदान कर रहे हैं।

हाल के वर्षों में गुमला, पलामू, सिमडेगा समेत राज्य के अन्य जिलों में स्थापित मिनी और माइक्रो ग्रिड ने सफलता के नए आयाम रचे हैं।

इनके जरिए ग्रामीण और आदिवासी समुदायों के सामाजिक-आर्थिक जीवन में गुणात्मक परिवर्तन भी देखा गया है।”

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