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पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में लगा ‘आत्माओं’ का मेला! झूमते-नाचते पहुंची महिलाएं

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राजगढ़: मध्यप्रदेश (MP) में राजगढ़ जिले के खिलचीपुर में बागेश्वर धाम (Bageshwar Dham) के महंत एवं प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) की 3 दिवसीय कथा का आयोजन हो रहा है।

पं. धीरेंद्र शास्त्री ने मंगलवार को कथा के दूसरे दिन दिव्य दरबार लगाया।

इस दौरान उन्होंने कई लोगों की पर्ची भी खोली। दिव्य दरबार में बुरी आत्माओं का मेला लग गया।पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में लगा 'आत्माओं' का मेला! झूमते-नाचते पहुंची महिलाएं Fair of 'souls' held in the divine court of Pandit Dhirendra Shastri! women dancing and dancing

प्रेतराज सरकार की सेना पहुंचो और इनको चिमटा मारो…

3 दिवसीय कथा के दूसरे दिन मंगलवार को दोपहर 12.00 बजे दिव्य दरबार लगी।

आयोजकों ने मंच पर ही पं. धीरेन्द्र शास्त्री का स्वागत किया। इस दौरान दिव्य दरबार में बाबा ने कई लोगों की पर्चियां खोली।

यहां दोपहर 3.00 बजे के बाद बुरी आत्माओं का मेला लगा।

मेले में बुरी आत्माओं से पीड़ित महिलाएं झूमते और नाचते हुए पहुंची, जिन्हें सेवादारों ने मंच के पास तक पहुंचाया।

महाराज ने मंच से कहा कि प्रेतराज सरकार की सेना पहुंचो और इनको चिमटा मारो।

इनको सिर पर चिमटा मारो। ऐसे में और भी महिला चिल्लाती हुई आई और बोली बाबा छोड़ दो।पंडित धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार में लगा 'आत्माओं' का मेला! झूमते-नाचते पहुंची महिलाएं Fair of 'souls' held in the divine court of Pandit Dhirendra Shastri! women dancing and dancing

जितनी भी महिलाएं हैं, जिन्हें भूत लगता है, बुलाया जाए

पंय धीरेंद्र शास्त्री ने दिव्य दरबार लगने के बाद कहा कि जितनी भी महिलाएं हैं, जिन्हें भूत लगता है, उन्हें बुलाया जाए।

उन्हें चिमटा मारा जाए। जिसके बाद प्रेत आत्माओं से पीड़ित महिलाएं एक-एक कर निकली और मंच की तरफ झूमते हुए पहुंची।

व्यवस्था में लगे लोग पीड़ित महिलाओं को लेकर पहुंचे रहे थे।

जिनका भूत उतारा गया, उन्हें बबूती दी गई और उन्हें बागेश्वर धाम की पेशी करने को कहा गया।

लाखों की भीड़ में चुनिंदा लोगों की पर्ची दरबार में स्वीकार

इससे पहले धीरेंद्र शास्त्री ने लोगों की पर्ची भी खोली। लोगों की समस्याओं का बाबा ने मंच से ही निदान किया।

समस्या लेकर पहुंचे लोग बागेश्वरधाम की जयकारे लगाते हुए हंसते हुए वापस लौटे। कथा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे।

लाखों की भीड़ में चुनिंदा लोगों की पर्ची दरबार में स्वीकार हुई। अधिकतर लोगों को भी उनके नामों की पर्ची खुलने की उम्मीद थी।

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