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लाली पंचायत के हेसो जंगल में बाघ या चीते के हमले की आशंका, तीन मवेशियों की मौत से दहशत

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Ranchi News: रांची के नामकुम प्रखंड अंतर्गत लाली पंचायत के सुदूरवर्ती हेसो जंगल क्षेत्र में बाघ या चीते के हमले की आशंका से बुंडू-नामकुम सीमा पर दहशत फैल गई है। सोमवार को ग्रामीणों ने बताया कि जंगल में चर रहे तीन मवेशियों को किसी जंगली जानवर ने मार डाला

घटना की सूचना मिलते ही भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष आरती कुजूर, पंचायत समिति सदस्य बबिता देवी, खिजरी उपमुखिया सुजीत सिन्हा, वार्ड सदस्य बीरबल मुंडा, सुरेंद्र महतो और वन विभाग की टीम घटनास्थल पर पहुंची और मामले की जांच की।

पंजे और नाखून के निशान मिले

प्रारंभिक जांच में मवेशियों के शवों पर गले और पीठ पर दांत और नाखून के गहरे निशान पाए गए, जो बाघ या चीते जैसे बड़े शिकारी जानवर के हमले की ओर इशारा करते हैं। घटनास्थल पर पंजों के निशान भी मिले हैं, हालांकि वन विभाग ने अभी बाघ की मौजूदगी की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है।

रांची डिवीजन की रेंजर गायत्री देवी ने बताया कि पगमार्क न मिलने के कारण हमले को बाघ का मानना मुश्किल है, लेकिन निशान बाघ की संभावना को नकारते भी नहीं। शवों को घटनास्थल पर छोड़ा गया है ताकि शिकारी की वापसी पर उसकी पहचान की जा सके।

ग्रामीणों में डर का माहौल

स्थानीय निवासी लखिन दास मुंडा ने बताया कि रविवार देर रात 2 से 3 बजे मवेशियों के चिल्लाने और दहाड़ने की आवाजें सुनाई दी थीं, लेकिन डर के कारण कोई बाहर नहीं निकला। सुबह हेसो और गरुड़पीढ़ी के ग्रामीणों ने जंगल में तीन मवेशियों के शव 500 मीटर के दायरे में पाए।

ग्रामीणों का मानना है कि यह हमला बाघ या चीते का हो सकता है। इस घटना के बाद लोग सूरज ढलने के बाद घरों में बंद रहने लगे हैं और बच्चों को स्कूल भेजना भी बंद कर दिया है।

वन विभाग की कार्रवाई

वन विभाग ने लाली जंगल में इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और कैमरे लगाए हैं ताकि शिकारी जानवर की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके। वनरक्षी मनीष कुमार, दीपक लकड़ा, गोपाल शर्मा, सुरेंद्र नायक और शेखर सुमन ने घटनास्थल का निरीक्षण किया।

ग्रामीणों को सलाह दी गई है कि वे अकेले जंगल न जाएं, मवेशियों को समूह में चराने ले जाएं और शाम के बाद जंगल की ओर न जाएं। क्षेत्र में गश्त भी बढ़ा दी गई है।

पहले भी हो चुके हैं हमले

पिछले एक महीने में नामकुम के हुआंगहातू और रुडुंगकोचा में भी बाघ के हमले की खबरें आई थीं। मई में हुआंगहातू के रायसा टोला में एक बैल की मौत के बाद ग्रामीणों ने बाघ की आशंका जताई थी।

वनपाल नितेश केशरी ने तब बताया था कि बैल के गले पर पंजों के निशान और टूटी हड्डी बाघ के हमले की ओर इशारा करते हैं, लेकिन पगमार्क नहीं मिले थे।

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