Ranchi news: रांची के जगन्नाथपुर में रविवार को घूरती रथ यात्रा का भव्य आयोजन हुआ। मौसीबाड़ी मंदिर से भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के रथ की वापसी के दौरान मां लक्ष्मी की प्रतीकात्मक झांकी ने रथ को रोक लिया। यह परंपरा, जिसे घूरती रथ के नाम से जाना जाता है, हर साल श्रद्धा, प्रेम और आध्यात्मिक संवाद की जीवंत तस्वीर पेश करती है।
मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ जब बिना मां लक्ष्मी को बताए मौसीबाड़ी जाते हैं, तो उनकी नाराजगी इस वापसी यात्रा में सामने आती है। मां लक्ष्मी की प्रतीकात्मक झांकी रथ के सामने आकर प्रेम और उदास भाव से भगवान को निहारती है। इस दृश्य को देखने के लिए जगन्नाथपुर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। वैदिक मंत्रोच्चार, ढोल-नगाड़े, भजन-कीर्तन और जयकारों के बीच रथ धीरे-धीरे मुख्य मंदिर की ओर बढ़ा।
क्या है घूरती रथ?
घूरती रथ, यानी वापसी रथ यात्रा, रथयात्रा के आठवें दिन (आषाढ़ शुक्ल पक्ष एकादशी) को आयोजित होती है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा मौसीबाड़ी से अपने मूल स्थान, जगन्नाथपुर मंदिर, लौटते हैं। इस यात्रा को स्थानीय परंपरा में घूरती रथ कहा जाता है। मान्यता है कि इसके दर्शन से पुण्य मिलता है और भगवान को उनके स्थान तक पहुंचाना भक्तों के लिए सौभाग्य की बात है। यह परंपरा न केवल धार्मिक है, बल्कि भगवान और मां लक्ष्मी के बीच भावनात्मक संबंध व गृहस्थ जीवन के मूल्यों को भी दर्शाती है।