Jharkhand High Court: झारखंड हाईकोर्ट ने चारा घोटाले के देवघर ट्रेजरी से 89 लाख रुपये की अवैध निकासी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, बेक जूलियस और सुधीर कुमार भट्टाचार्य की सजा बढ़ाने की CBI की याचिका स्वीकार कर ली है। जस्टिस रंगोन मुखोपाध्याय और जस्टिस अंबुज नाथ की खंडपीठ ने CBI की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला लिया।
CBI की दलील: सजा अपर्याप्त, लालू की भूमिका अहम
CBI ने अपनी याचिका में कहा कि विशेष CBI अदालत ने 23 दिसंबर 2017 को लालू प्रसाद, बेक जूलियस और सुधीर भट्टाचार्य को IPC और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केवल साढ़े तीन साल की सजा सुनाई, जो कम है। CBI के अधिवक्ता दीपक भारती ने तर्क दिया कि निचली अदालत ने अपने फैसले में माना था कि यह घोटाला लालू के संरक्षण में हुआ, फिर भी उन्हें कम सजा दी गई। वहीं, मामले में सह-आरोपी जगदीश शर्मा को सात साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था। CBI ने लालू सहित तीनों की सजा बढ़ाने की मांग की।
क्या है मामला?
1996 में CBI ने देवघर ट्रेजरी से 89 लाख रुपये की फर्जी निकासी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी। जांच के बाद 2017 में विशेष CBI अदालत ने लालू प्रसाद, बेक जूलियस, सुधीर भट्टाचार्य, आरके राणा, फूलचंद सिंह और महेश प्रसाद को दोषी ठहराया। 6 जनवरी 2018 को इन सभी को साढ़े तीन साल की सजा सुनाई गई। हालांकि, राणा, सिंह और प्रसाद की मृत्यु हो चुकी है, इसलिए अब केवल लालू, जूलियस और भट्टाचार्य के खिलाफ अपील पर सुनवाई होगी।
क्या होगा असर?
लालू प्रसाद, जो वर्तमान में जमानत पर हैं, की मुश्किलें इस फैसले से बढ़ सकती हैं। यह मामला 950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले का हिस्सा है, जिसमें देवघर, दुमका, चाईबासा और डोरंडा ट्रेजरी से फर्जी बिलों के जरिए अवैध निकासी की गई थी। हाईकोर्ट का अंतिम फैसला इस मामले में अहम होगा।