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झारखंड हाईकोर्ट ने कहा- इस तरह का रवैया लोगों के लिए जानलेवा, रांची सिविल सर्जन इस्तीफा देकर क्यों नहीं जाते घर

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रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने शुक्रवार को रांची के सिविल सर्जन पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गयी है।

अगर वह काम नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर क्यों नहीं घर चले जाते। कोर्ट की नाराजगी रिम्स की व्यवस्था से जुड़ी एक जनहित याचिका पर सिविल सर्जन के जवाब को लेकर थी।

इस दौरान चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने रांची सिविल सर्जन की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी की।

अदालत ने कहा कि राज्य में कोरोना का बढ़ता संक्रमण युद्ध जैसा हालात उत्पन्न कर दिए हैं और इससे निपटने के सरकार को बहुत तेजी दिखानी होगी।

लेकिन ऐसा नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। जब कोर्ट ने कोरोना के पहले चरण में ही इस मामले में संज्ञान लेकर सरकार की तैयारी के बारे में पूछा था, तो हर बार सरकार ने तैयारी पूरी होने की बात कही।

लेकिन वर्तमान स्थिति बहुत ही चिंताजनक है। अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हाईकोर्ट से जुड़े लोगों का सैंपल पिछले चार दिनों से जांच के लिए नहीं भेजा जा रहा है। पांच तारीख को सैंपल लिया गया था। अब तक जांच क्यों नहीं हुई।

अदालत ने सिविल सर्जन से पूछा कि सैंपल रख कर क्या कर रहे हैं।

हाईकोर्ट से जुड़े लोगों के साथ ऐसा सुलूक है, तो सिविल सर्जन आम लोगों के साथ कैसा व्यवहार कर रहे होंगे।

इतना ही नहीं, कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सिविल सर्जन के अंदर इंसानियत की भावना खत्म हो गयी। अगर वह अपना कार्य नहीं कर पा रहे हैं, तो इस्तीफा देकर चले क्यों नहीं जाते।

अदालत ने सुनवाई के दौरान उपस्थित राज्य के स्वास्थ्य सचिव को मौजूदा स्थिति से अवगत कराते हुए कहा कि सिविल सर्जन की लापरवाही के चलते सारे सैंपल सड़ रहे हैं।

80 प्रतिशत सैंपल की जांच नहीं हुई है। इस तरह का रवैया लोगों के लिए जानलेवा हो सकता है।

कोर्ट ने सभी बिंदुओं पर सिविल सर्जन से विस्तृत शपथ पत्र के माध्यम से जवाब देने को कहा है।

अदालत ने स्वास्थ्य सचिव और रिम्स के निदेशक से कहा कि रिम्स में आवश्यक मशीनों की खरीदारी के लिए रिम्स गवर्निंग बॉडी की जल्द बैठक बुलाई जाए और निर्णय लेकर जल्द से जल्द मशीनों की खरीदारी की जाए।

इस मामले की अगली सुनवाई के लिए सोमवार की तिथि निर्धारित की गयी है। अदालत ने अगली सुनवाई के दिन राज्य के स्वास्थ्य सचिव, रिम्स के निदेशक और सदर अस्पताल के सिविल सर्जन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित होने का निर्देश दिया है।

राज्य सरकार की तरफ से महाधिवक्ता और रिम्स की तरफ से अधिवक्ता आकाशदीप अदालत के समक्ष पक्ष रखा।

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