Jharkhand News: झारखंड के विश्वविद्यालयों में विभिन्न विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर (लेक्चरर) के 2804 पद लंबे समय से खाली पड़े हैं, जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
इन रिक्तियों के बीच, 700 नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसर पिछले आठ सालों से विश्वविद्यालयों में सेवा दे रहे हैं, मगर उनकी मेहनत को उचित सम्मान और स्थायी नियुक्ति नहीं मिल रही।
गुरुवार को नीड सहायक प्राध्यापक संघ के बैनर तले आयोजित संवाद सत्र में इन शिक्षकों ने एक स्वर में अपनी सेवाओं के नियमितीकरण और यूजीसी बेसिक पे के समतुल्य वेतन की मांग उठाई।
संघ के अध्यक्ष डॉ. त्रिभुवन कुमार शाही ने सत्र में कहा कि नीड बेस्ड लेक्चररों की नियुक्ति UGC रेगुलेशन और राज्य सरकार की नीतियों के तहत गठित बोर्ड के माध्यम से रिक्त पदों के लिए की गई थी।
इसके बावजूद, उन्हें समय पर मानदेय का भुगतान नहीं किया जाता। स्थायी शिक्षकों की तरह कठिन परिश्रम करने के बावजूद, इन्हें अधिकतम 57,700 रुपये मासिक मानदेय दिया जाता है, जो उनकी योग्यता और सेवाओं के अनुरूप नहीं है।
डॉ. शाही ने मांग की कि नीड बेस्ड असिस्टेंट प्रोफेसरों की सेवाओं को नियमित किया जाए और उन्हें यूजीसी बेसिक पे स्केल के अनुसार वेतन, स्वीकृत अवकाश, मातृत्व लाभ, चिकित्सा भत्ता, और अन्य सुविधाएं स्थायी शिक्षकों की तरह प्रदान की जाएं।
शिक्षकों की कमी एक पुरानी समस्या
झारखंड के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी एक पुरानी समस्या है। झारखंड असिस्टेंट प्रोफेसर अनुबंध एसोसिएशन के अनुसार, राज्य में कुल 4317 स्वीकृत शिक्षक पदों में से 65% (2808) रिक्त हैं।
इनमें से 2404 पदों के लिए अगस्त 2023 में JPSC को अधियाचना भेजी गई थी, लेकिन उन पदों पर भी, जहां नीड बेस्ड शिक्षक वर्षों से कार्यरत हैं, नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। यह स्थिति न केवल इन शिक्षकों के साथ अन्याय है, बल्कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को भी प्रभावित कर रही है।
रांची विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय, सिदो-कान्हू विश्वविद्यालय, नीलांबर-पीतांबर विश्वविद्यालय, और कोल्हान विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थानों में शिक्षक पदों की कमी चरम पर है।
उदाहरण के लिए, रांची विश्वविद्यालय में 1108 स्वीकृत पदों में से 458 पर ही शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में 148 स्वीकृत पदों में से 87 खाली हैं।
झारखंड हाई कोर्ट ने दिसंबर 2024 में राज्य सरकार, JPSC, और विश्वविद्यालयों को चार महीनों के भीतर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर, और प्रोफेसर के रिक्त पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था।
इस फैसले ने नीड बेस्ड शिक्षकों में नियमितीकरण की उम्मीद जगाई है।