JSSC-CGL Paper leak: झारखंड राज्य कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की संयुक्त स्नातक स्तरीय (CGL) परीक्षा 2024 के पेपर लीक मामले में जेल में बंद कुंदन कुमार और राम निवास राय की जमानत याचिका पर गुरुवार को रांची की CID विशेष अदालत में सुनवाई हुई।
विशेष न्यायाधीश SN तिवारी की अदालत ने बचाव पक्ष और CID की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत 15 मई को अपना आदेश सुनाएगी। दोनों आरोपियों ने अप्रैल 2025 में जमानत के लिए याचिका दायर की थी और 25 मार्च 2025 से न्यायिक हिरासत में हैं।
यह मामला 21-22 सितंबर 2024 को आयोजित JSSC CGL परीक्षा से जुड़ा है, जिसमें पेपर लीक की अफवाहों ने व्यापक विवाद खड़ा किया था।
JSSC CGL परीक्षा 21 और 22 सितंबर 2024 को झारखंड के 823 केंद्रों पर तीन पालियों में आयोजित हुई थी, जिसमें 6.5 लाख से अधिक अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया। CID की जांच के अनुसार, एक गिरोह ने परीक्षा से पहले अभ्यर्थियों से पेपर उपलब्ध कराने के नाम पर पैसे वसूले, जिससे पेपर लीक की अफवाह फैली।
इस गिरोह में शामिल कुंदन कुमार (उर्फ मंटू, IRB-8, गोड्डा का जवान) और राम निवास राय (असम राइफल्स जवान, लुधियाना) सहित आठ लोगों को 25 मार्च 2025 को गिरफ्तार किया गया।
CID ने कहा कि मूल प्रश्नपत्र लीक होने का कोई प्रत्यक्ष या भौतिक साक्ष्य नहीं मिला, लेकिन पैसे की उगाही ने अफवाहों को हवा दी।
8 मई को CID विशेष अदालत में कुंदन कुमार और राम निवास राय की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि दोनों के खिलाफ ठोस सबूत नहीं हैं और CID की जांच में पेपर लीक की पुष्टि नहीं हुई।
CID ने इसका विरोध करते हुए कहा कि दोनों गिरोह के प्रमुख सदस्य थे, जिन्होंने अभ्यर्थियों से पैसे लिए। सुनवाई के बाद जज एसएन तिवारी ने फैसला सुरक्षित रखा और 15 मई को आदेश देने की तारीख तय की।
इससे पहले, 5 मई को छह अन्य आरोपियों (कुंदन कुमार, रोबिन कुमार, अखिलेश कुमार, गौरव कुमार, अभिलाष कुमार, और एक अन्य) की जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी हुई थी, जिसका फैसला 9 मई को आना था।
क्या है JSSC CGL पेपर लीक विवाद
JSSC CGL 2024 परीक्षा 2,025 सरकारी पदों के लिए आयोजित की गई थी। परीक्षा के दौरान इंटरनेट बंद करने के सरकार के फैसले ने विवाद को और बढ़ाया, क्योंकि अभ्यर्थियों का दावा था कि पेपर लीक की जानकारी इंटरनेट बंद होने से सामने नहीं आ सकी।
धनबाद और हजारीबाग के केंद्रों पर असिल प्रश्नपत्र और बेमेल सीरियल नंबर की शिकायतों के बाद अभ्यर्थियों ने विरोध प्रदर्शन किए।
झारखंड हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को परिणामों पर रोक लगा दी और CID को जांच पूरी करने का आदेश दिया।
24 फरवरी 2025 को CID ने अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की, जिसमें परीक्षा एजेंसी सतवत इंफोसोल प्रा. लि. और JSSC की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया गया।