रांची लोकसभा क्षेत्र के 73 प्रतिशत मतदाता हैं साक्षर, जानिए इसकी और खासियत…

News Aroma Desk

Ranchi Lok Sabha: देश में छठे चरण के चुनाव में झारखंड की चार लोकसभा सीटों पर शनिवार को मतदान होगा। इसमें रांची लोकसभा (Ranchi Lok Sabha) सीट भी शामिल है।

रांची लोकसभा क्षेत्र में 31.19 फीसदी ST और 4.53 फीसदी SC मतदाता हैं। रांची लोकसभा क्षेत्र में 58 फीसदी हिंदू रहते हैं। हिंदुओं के बाद सबसे बड़ी आबादी मुस्लिमों की है। इस क्षेत्र में 15 फीसदी मुस्लिम निवास करते हैं।

सात फीसदी ईसाई और 20 फीसदी अन्य धर्म के लोग रहते हैं। रांची लोकसभा सीट के लिए राजधानी रांची और सरायकेला-खरसावां जिले के लोग मतदान करते हैं।

रांची लोकसभा क्षेत्र में 73 फीसदी लोग साक्षर

रांची में ग्रामीण और शहरी क्षेत्र बराबर हैं यानी लोकसभा क्षेत्र में 50 फीसदी इलाके ग्रामीण क्षेत्र में आते हैं, तो 50 फीसदी शहरी क्षेत्र में। यहां घरों की संख्या 5,22,872 है।

रांची लोकसभा क्षेत्र में 73 फीसदी लोग साक्षर हैं। 51.79 फीसदी पुरुष वोटर साक्षर हैं जबकि साक्षर महिला वोटर की हिस्सेदारी 48.21 फीसदी है। इस लोकसभा क्षेत्र का लिंगानुपात 931 है।

रांची लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। वर्ष 2009 में 16,25,148 मतदाता थे। वर्ष 2014 में यह संख्या बढ़कर 16,48,459 हो गई। वर्ष 2019 में यह आंकड़ा बढ़कर 19,15,959 हो गया। वर्ष 2024 में मतदाताओं की संख्या बढ़कर 21,88,389 पहुंच गई है।

रांची लोकसभा क्षेत्र में वर्ष 2009 में 50.98 फीसदी लोगों ने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। वर्ष 2014 में मतदान प्रतिशत में करीब 13 फीसदी का उछाल आया। इस बार 63.82 फीसदी लोगों ने वोट किए। वर्ष 2019 में 66.80 फीसदी वोटिंग हुई, जो रांची में अब तक हुआ सर्वाधिक मतदान है।

रांची लोकसभा सीट पर पिछले तीन चुनावों में दो बार BJP को जीत मिली जबकि एक बार कांग्रेस पार्टी ने जीत दर्ज की। पिछले दो बार से 2014 और 2019 में भाजपा के उम्मीदवार जीत रहे हैं।

वर्ष 2014 में रामटहल चौधरी ने BJP के लिए यह सीट जीती थी जबकि 2019 में संजय सेठ यहां से जीतकर पहली बार सांसद बने। इसके पहले वर्ष 2009 में कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय ने जीत दर्ज की थी।

वर्ष 2014 में रामटहल चौधरी को 42.74 फीसदी वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के सुबोधकांत सहाय को 23.76 फीसदी लोगों ने वोट किया था। तब आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने भी चुनाव लड़ा और उन्हें 13.56 फीसदी मत मिले।

JVM के टिकट पर अमिताभ चौधरी ने भी भाग्य आजमाया था लेकिन उन्हें महज 6.45 फीसदी VOTE ही मिले। बंधु तिर्की ने तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और 4.39 फीसदी वोट पाकर पांचवें स्थान पर रहे।

वर्ष 2019 में संजय सेठ ने सुबोधकांत सहाय को पराजित किया और पहली बार संसद पहुंचे। संजय सेठ को 57.21 फीसदी वोट मिले जबकि सुबोधकांत सहाय को 34.31 फीसदी मत प्राप्त हुए।

टिकट नहीं मिलने से नाराज रामटहल चौधरी ने BJP से बगावत कर दी और निर्दलीय चुनाव लड़े। उन्हें महज 2.39 फीसदी वोट मिले। राजू महतो और विद्याधर प्रसाद को क्रमश: 0.76 फीसदी और 0.71 फीसदी मत प्राप्त हुए।

तीन लोकसभा चुनावों में BJP के मत प्रतिशत में लगातार इजाफा

वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में 20 प्रत्याशियों ने भाग्य आजमाया जबकि वर्ष 2014 में 28 उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। वर्ष 2019 में 4379 लोगों ने नोटा दबाया था जबकि वर्ष 2014 में ऐसा करने वाले मतदाताओं की संख्या 6900 थी। वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में रांची से कुल 27 उम्मीदवार मैदान में हैं।

राज्य में पिछले तीन लोकसभा चुनावों में भाजपा के मत प्रतिशत में लगातार इजाफा हुआ है जबकि कांग्रेस के वोट प्रतिशत में उतार-चढ़ाव देखा गया है।

वर्ष 2009 में भाजपा को 41.04 फीसदी, वर्ष 2014 में 42.74 फीसदी और वर्ष 2019 में 57.21 फीसदी मत मिले जबकि कांग्रेस को वर्ष 2009 में 42.88 फीसदी, वर्ष 2014 में 23.76 फीसदी और वर्ष 2019 में 34.31 फीसदी मत मिले। JVM को वर्ष 2009 में 4.36 फीसदी और वर्ष 2014 में 6.45 फीसदी वोट मिले थे।

रांची लोकसभा सीट अनारक्षित है यानी सामान्य वर्ग के लोग यहां से चुनाव लड़ सकते हैं। इस क्षेत्र में 1090 गांव और 16 शहर हैं। इस लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं। हटिया, ईचागढ़, कांके, खिजरी, रांची और सिल्ली विधानसभा क्षेत्र के मतदाता रांची का सांसद चुनते हैं।

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