Jharkhand News: झरिया की पूर्व विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह कानूनी पचड़े में फंस गई हैं। अधिवक्ता गजेन्द्र कुमार और वकार अहमद ने धनबाद के CJM कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा ठोका है। उन पर आरोप है कि हाल ही में एक कैंडल मार्च के दौरान उन्होंने न्यायपालिका और जज के खिलाफ आपत्तिजनक और अभद्र टिप्पणी की। इस बयान ने वकीलों और न्यायिक बिरादरी में गुस्सा भड़का दिया है।
न्यायपालिका को “अन्यायपालिका” कहने का आरोप
अधिवक्ता गजेन्द्र और वकार का कहना है कि पूर्णिमा सिंह ने खुले मंच पर न्यायपालिका को “अन्यायपालिका” कहकर संबोधित किया और जज के खिलाफ “चश्मे का पावर बढ़ाने” जैसी बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की।
वकीलों का मानना है कि यह बयान न सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला भी है। उनका कहना है कि किसी जनप्रतिनिधि को इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करने का कोई हक नहीं है।
“अपील करो, अपमान नहीं”
वकीलों ने कहा कि अगर किसी कोर्ट के फैसले से असहमति है, तो संवैधानिक तरीके से हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में अपील की जा सकती है। लेकिन सार्वजनिक मंच से जजों का अपमान करना बिल्कुल गलत है।
उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक पूर्णिमा सिंह अपने विवादित बयान को सार्वजनिक रूप से वापस नहीं लेतीं, यह कानूनी जंग जारी रहेगी। जरूरत पड़ी तो मामला सुप्रीम कोर्ट तक ले जाया जाएगा।
कैंडल मार्च से शुरू हुआ विवाद
दरअसल, 1 सितंबर को पूर्णिमा नीरज सिंह ने धनबाद के जिला परिषद मैदान से रणधीर वर्मा चौक तक कैंडल मार्च निकाला था।
यह मार्च पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या के मामले में 27 अगस्त को आए कोर्ट के फैसले के विरोध में था। रणधीर वर्मा चौक पर दिए गए उनके बयान ने अब यह मामला कोर्ट तक पहुंचा दिया है।


